'इंसानों का दांत नहीं है खतरनाक हथियार', ससुराल वालों पर गई FIR मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सुनाया अजीब फैसला

Bombay High Court: कोर्ट ने यह भी कहा कि मामला केवल झगड़े तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे संपत्ति से जुड़ा विवाद भी हो सकता है. ऐसे में आपसी मनमुटाव को अपराध का रूप देना न्यायसंगत नहीं होगा.

Imran Khan claims
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Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि इंसानी दांतों को खतरनाक हथियार नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने यह फैसला एक महिला द्वारा अपनी ससुराल वालों पर दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करते हुए दिया, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसकी ननद ने उसे काट लिया था.

यह मामला अप्रैल 2020 का है, जब एक महिला ने अपनी ननद पर झगड़े के दौरान उसे दांत से काटने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी. महिला का आरोप था कि उसकी ननद ने उसे जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के इरादे से काटा और यह एक खतरनाक हथियार से हमला करने जैसा है.

क्या कहती है मेडिकल रिपोर्ट

कोर्ट ने महिला की मेडिकल रिपोर्ट का अध्ययन करते हुए पाया कि उसे केवल मामूली चोटें आई थीं, जो दांतों के निशान जैसी थीं. जस्टिस विभा कंकणवाड़ी और संजय देशमुख की पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में आईपीसी की धारा 324 के अंतर्गत गंभीर चोट या जानलेवा हमला नहीं माना जा सकता.

भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के तहत किसी खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाना तब माना जाता है जब वह हथियार जानलेवा हो या गंभीर नुकसान पहुंचा सके. हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि मानव दांत किसी भी रूप में ऐसे हथियार की श्रेणी में नहीं आते.

एफआईआर खारिज करने का आधार

कोर्ट ने पाया कि केवल मामूली चोट के आधार पर आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा चलाना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. इसी आधार पर कोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर दिया.

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