बॉम्बे हाईकोर्ट नें बच्चे की कस्टडी से जुड़े एक केस में की सुनवाई के दौरान पैरेंट्स को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट की गोवा बेंच का कहना है कि बच्चे को मां-बाप को अपने बच्चों को खिलौने की तरह नहीं समझना चाहिए. बच्चे के हित को सबस पहले रखना चाहिए. कोर्ट ने मां और पिता दोनों को बच्चे की गर्मियों की छुट्टी के दौरान बराबर कस्टडी देने के आदेश दिए हैं.
दरअसल एक बच्चे की मां की ओर से हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें फैमली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. फैमिली कोर्ट ने पिता को 7 हफ्ते और मां को 5 हफ्ते की कस्टडी दी थी. इस मामले की सुनवाई जस्टिस भरत देशपांडे की बेंच कर रही थी.
बच्चे के माता-पिता अमेरिकी नागरिक हैं. उनकी शादी कैलिफोर्निया में हुई थी और बच्चे का जन्म साल 2019 में पेरिस में हुआ था. बच्चे के जन्म के बाद दोनों पति पत्नी के रिश्तों में खटास आ गई. इस दौरान पिता अपने बच्चे को लेकर गोवा आ गए. उस समय कैलिफोर्निया की कोर्ट ने एक्स पार्ट ऑर्डर में बच्चे की कस्टडी पिता को सौंप दी थी. इसके बाद मां भारत आयी और फिर दोनों ने मिलकर फैमली कोर्ट का रूख किया. हाईकोर्ट ने आदेश में बताया कि उसने अक्टूबर 2023 में फैमिली कोर्ट के जून 2023 के एक आदेश का संशोधन किया है. तब बच्चे की कस्टडी उसकी मां को दी गई थी और पिता को सिर्फ मिलने का अधिकार दिया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच बच्चे के पिता की तबीयत खराब होने के कारण बच्चे से मिलने नहीं गया. जिसके बाद उसने स्कूल की छुट्टियों के दौरान बच्चे की कस्टडी के लिए मापुसा के फैमिली कोर्ट में आवेदन दाखिल किया गया. अब 8 मई को फैमिली कोर्ट की ओर से आदेश जारी करते हुए मां को 5 और पिता को 7 हफ्ते की कस्टडी दी गई थी. इसके लिए मां ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
सुनवाई में हाईकोर्ट ने माता-पिता के बीच कस्टडी के समय को बराबर बांटने की बात कही है. ऐसे में दोनों के बीच 11 सप्ताह बराबर बांटे जाएंगे और दोनों को 5-5 सप्ताह की कस्टडी मिलेगी. इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने कहा कि, 'इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि माता-पिता मिलने के अधिकार की भरपाई करने के लिए बच्चे को खिलौने की तरह नहीं समझें. बच्चे के साथ इंसान जैसा बर्ताव जरूरी है, और सबसे ज्यादा जरूरी बात कि बच्चे के हित को सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए'.