Haryana Election: हरियाणा कांग्रेस में परिवारवाद हावी? BJP के लिए सत्ता की राह होगी आसान
हरियाणा के रण में कई बड़े-बड़े चेहरे उतर चुके हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. 13 सितंबर को नामांकन पत्रों की छंटनी और 16 सितंबर को नाम वापसी के बाद मैदान में डटे रहने वाले उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा. वोटिंग 5 अक्टूबर को है और नजीते 8 अक्टूबर को आएंगे.
हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले ग्राउंड रिपोर्ट आने लगे हैं. राज्य की राजनीति को समझने वाले जानकार और ओपिनियन पोल सामने आ रहे हैं. जो जानकारी निकल आ रहा ही है उससे अनुसार कांग्रेस की सत्ता में वापसी मुश्किल ही लग रही है. पिछले 10 दस से सत्ता पर काबिज बीजेपी हैट्रिक लगा सकती है.
हरियाणा के रण में कई बड़े-बड़े चेहरे उतर चुके हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. 13 सितंबर को नामांकन पत्रों की छंटनी और 16 सितंबर को नाम वापसी के बाद मैदान में डटे रहने वाले उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा. वोटिंग 5 अक्टूबर को है और नजीते 8 अक्टूबर को आएंगे.
मजबूत स्थिति में बीजेपी
बीजेपी 2014 से सत्ता में है. दो बार सरकार में रहने के बाद भी हरियाणा में पार्टी मजबूत स्थिति में दिख रही है. कांग्रेस 10 साल की एंटी इनकंबेंसी के फायदा उठाने की तैयारी में थी, लेकिन परिवारवाद कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रही है. केंद्र हो या राज्य. हर जगह कांग्रेस में परिवारवाद हावी है. टिकट बंटवारे के दौरान भी सिरसा सांसद व दलित नेता कुमारी शैलजा से ज्यादा हुड्डा परिवार को तरजीह मिलना भी है.
हुड्डा गुट को तरजीह?
टिकट बटवारे में पारिवादवाद हावी रहा. कांग्रेस के पहली लिस्ट में 32 नाम थे, उनमें 28 सिटिंग विधायाकों के नाम थे. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पहली सूची में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के 28 और कुमारी शैलजा गुट के महज 4 उम्मीदवारों को टिकटों मिला. बाकी की भी लिस्ट हुड्डा गुट को तरजीह दी गई. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस में भाजपा से दोगुना परिवारवाद है. कांग्रेस ने पार्टी में सक्रिय नेताओं के परिवारजनों को 22 सीटों से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है.
नेताओं के परिवार को दिए गए टिकट
हरियाणा में कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को कैथल से टिकट दिया है. सांसद वरुण चौधरी की पत्नी पूजा चौधरी को मुलाना (एससी) सीट से उम्मीदवार बनाया है. पूर्व मंत्री के बेटे मनदीप सिंह को पिहोवा सीट से मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी की बात करें तो पार्टी ने 11 सीटों पर परिवार से आने वाले उम्मीदवार पर भरोसा जताया है.
टिकट बटवारे के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल में बगावत देखी गई. कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी तो कई ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. कांग्रेस ने बागियों को मनाने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली है.