मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और उनकी पत्नी सीता ने जिस राह से वन गमन के लिए प्रस्थान किया था, उसी राह को 'राम वन गमन पथ' के नाम से जाना जाता है. सनातन धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु, भगवान राम से जुड़ी इन जगहों पर बेहद आस्थावान हैं. महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायाण में उन जगहों का जिक्र है, जहां-जहां से राम गुजरे थे. राम पर अध्ययन करने वाले लोगों की मानें तो वे उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र पर्देश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु से होकर रावण की नगरी लंका पहुंचे थे, जहां वह सीता को हरकर ले गया था. अयोध्या में रामलला अपनी जन्मभूमि पर विराजमान हो गए हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस मुद्दे को जोरशोर से उठाती रही है. बीजेपी ने इंडिया ब्लॉक को भगवान राम का विरोधी बताया था.
अगर केवल हम राम वन गमन पथ का जिक्र करें तो यह अयोध्या से शुरू होता है फिर प्रयागराज, कौशांबी से होकर चित्रकूट तक जाता है. इस पथ को ही राम वन गमन मार्ग कहते हैं. यह करीब 177 किलोमीटर लंबा है. अगर इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से तैयार कर लिया जाए तो करीब 3500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. आइए जानते हैं कि राम वन गमन पथ पर, राम को लाने का दावा करने वाली बीजेपी की परफॉर्मेंस कैसी रही है.
भगवान राम का गृहनगर था अयोध्या. अयोध्या में बीजेपी हार गई. अंबेडकर नगर से सपा के लालजी वर्मा जीते, बीजेपी के रितेश पांडे हारे. सुल्तानपुर से बीजेपी हार गई. गोंडा जीतने में बीजेपी कामयाब हो गई. अयोध्या का पड़ोसी जिला है बस्ती. बस्ती में सपा के राम प्रसाद चौधरी जीत गए और बीजेपी के हरीश द्विवेदी हार गए. भगवान राम का ही इलाका है सिद्धार्थनगर. इस जिले की लोकसभा सीट है डुमरियागंज. यहां से बीजेपी जीत गई और सपा हारी. यहां से नेपाल बेहद नजदीक है. नेपाल राम की ससुराल कही जाती है. ये हाल पड़ोसियों का है लेकिन आइए जानते हैं राम वन गमन पथ पर कैसा रहा बीजेपी का हाल.
अयोध्या से श्रीलंका तक भगवान राम 14 साल तक वन में ही रहे. इस दौरान 248 ऐसी जगहें हैं, जिन्हें राम भगवान से जोड़कर देखा जाता है. राम वन गमन पथ की राजनीतिक यात्रा आइए जानते हैं.
- भगवन राम की नगरी है अयोध्या. अयोध्या से ही भगवान ने वन की ओर प्रस्थान किया था. केवट ने उन्हें सरयू पार किया और वे वन की ओर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन गमन किया. अयोध्या लोकसभा सीट से ही बीजेपी चुनाव हार गई. फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से
से सपा के अवधेश कुमार जीत गए. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह चुनाव हार गए थे. उन्होंने 54567 वोटों से हरा दिया.
- भगवान राम जब, अयोध्या से निकले तो उन्होंने पहला विश्राम तमसा नदी पर किया. तमसा नदी के किनारे ही आजमगढ़ शहर बना हुआ है. इस लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की करारी हार हुई. समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव ने बीजेपी के दिनेश लाल यादव को डेढ़ लाख वोटों से हरा दिया था. आजमगढ़ में जहां भगवान राम विश्राम किए थे, वहां एक राम जानकी मंदिर भी बना है.
- भगवान राम का दूसरा पड़ाव था शृंगवेरपुर. प्रयागराज से गोमती नदी से करीब 20 किलोमीटर ये जगह है. यह सोरांव तहसील में पड़ता है. इसकी लोकसभा सीट फूलपुर है. इस बार फूलपुर लोकसभा सीट से फूलपुर लोकसभा सीट से बीजेपी चुनाव जीत गई. यहां से बीजपेी ने प्रवीण पटेल को टिकट दिया था, उन्होंने सपा उम्मीदवार अमरनाथ मौर्य को करीब 4,332 वोटों से हरा दिया. भगवान राम का तीसरा विश्राम गंगा के दूसरी तरफ, कुरई में हुआ था. कुरई, सिंगरौर के पास है. गंगा के एक पार कुरई है, दूसरी पार सिंगरौर है. कुरई भी फूलपुर लोकसभा सीट के ही अंतर्गत आता है.
- भगवान राम कुरई से आगे चलकर प्रयाग गए थे. कुरई से थोड़ी दूरी पर राम प्रयाग है. यहां भगवान ने विश्राम किया था. यही जगह प्रयागराज है. यह इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के उज्वल रमण सिंहने बीजेपी के नीरज त्रिपाठी को करीब 58795 वोटों से हरा दिया था.
- भगवान राम का पांचवा विश्राम था चित्रकूट. चित्रकूट में भगवान राम कई दिन रुके. उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चित्रकूट लोकसभा सीट पर भी भारतीय जनता पार्टी हार गई. बांदा चित्रकूट लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की नेता कृष्णा देवी शिव शंकर पटेल ने बीजेपी के आरके सिंह पटेल को हरा दिया था. उन्होंने करीब 71197 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी को हराया. राम वन गमन पथ पर भी बीजेपी के लिए राह आसान नहीं. राम मंदिर निर्माण, अयोध्या के विकास के बाद भी बीजेपी अयोध्या और चित्रकूट जैसी जगहों पर हार गई.