महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं. वहीं हर पार्टी अपने-अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है. राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के बावजूद, महाराष्ट्र में सत्ता की जंग जारी है.महायुति और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर बहस तेज हो गई है. राकांपा का समर्थन फडणवीस के लिए एक बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है लेकिन शिंदे गुट की चुनौती भी गंभीर है.
वहीं, दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना गुट ने मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी मजबूत की है. शिंदे गुट का कहना है कि चुनावी रुझान उनके पक्ष में हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद पर लौटना चाहिए. गुट ने यह भी कहा कि महायुति की जीत में उनकी प्रमुख योजना, 'मुख्यमंत्री मांझी लड़की बहिन योजना', का बड़ा योगदान रहा है. यह योजना महिलाओं के लिए लागू की गई थी और इसने चुनाव में अच्छा असर डाला है. शिंदे गुट का दावा है कि यह योजना महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुई, जिससे महायुति को फायदा हुआ.
वहीं कुछ सोर्से का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी को अब तक की सबसे बड़ी जीत दिलाने वाले देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार सीएम बनने जा रहे हैं.मिली जानकारी के मुताबिक RSS और बीजेपी ने राज्य में सरकार चलाने का फॉर्मूला तय किया है. पहले ढाई साल फडणवीस और अगले ढाई साल शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे सीएम होंगे. सीएम पद छोड़ने के बाद फडणवीस को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा. सोर्स के मुताबिक, BJP और RSS ने मिलकर फडणवीस की भूमिका तय की है.उन्हें ढाई साल सीएम बनाने पर बीजेपी और शिवसेना में सहमति बन चुकी है. वहीं फडणवीस को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर पार्टी हाईकमान और RSS राजी है.
सूत्रों ने यह भी बताया कि नई सरकार के गठन का फार्मूला तैयार है और भाजपा के करीब 24 मंत्री होंगे, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के करीब 12 मंत्री होंगे. महाराष्ट्र की नई सरकार में एनसीपी के लगभग 10 मंत्री होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि इस बीच एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री का फॉर्मूला जारी रहेगा. अगले कदम के लिए देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की भी संभावना है. हालांकि, कुछ दलों ने कहा है कि नेता दिल्ली नहीं जाएंगे.
बता दें कि इस बार के महाराष्ट्र चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच था, जिसमें कुल मिलाकर छह प्रमुख दल शामिल हैं.19 निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने दूसरे स्थान पर रहकर अपनी क्षमता का परिचय दिया.