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'यह 56 इंच का सीना है', पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रद्द करने पर बोले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे

दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि नेहरू जी, जो सांप को पानी देने के समझौते के नायक थे, उन्होंने 1960 में नोबेल पुरस्कार के लिए भारतीयों का खून बहाया और सिंधु, रावी, ब्यास, चिनाब और सतलुज का पानी दिया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
BJP MP Nishikant Dubey

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया. बैसारन मीडोज में हुए इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई. इसके जवाब में भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा, "पाकिस्तानी बिना पानी के मर जाएंगे और यह है 56 इंच का सीना." यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णायक और साहसी नेतृत्व शैली की ओर इशारा करती है.

दुबे का विवादित बयान

दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "नेहरू जी, जो सांप को पानी देने के समझौते के नायक थे, उन्होंने 1960 में नोबेल पुरस्कार के लिए भारतीयों का खून बहाया और सिंधु, रावी, ब्यास, चिनाब और सतलुज का पानी दिया. आज मोदी जी ने खाना और पानी रोक दिया. पाकिस्तानी बिना पानी के मर जाएंगे. यह है 56 इंच का सीना. हुक्का, पानी, खाना और पानी बंद होगा. हम बीजेपी कार्यकर्ता हैं. हम उन्हें तड़पाकर मारेंगे." उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी.

सरकार की कठोर कार्रवाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए. विदेश मंत्रालय ने घोषणा की, "पाकिस्तानी सेना के सलाहकारों को भारत में अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है." इसके साथ ही अटारी-वाघा चेकपोस्ट बंद कर दी गई, सार्क वीजा छूट योजना के तहत पाकिस्तानी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई, और दिल्ली में पाकिस्तान के राजनयिक मिशन को 30 तक सीमित कर दिया गया.

सिंधु जल संधि का इतिहास
सिंधु जल संधि 19 सितंबर 1960 को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित हुई थी. इसके तहत सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के पानी का बंटवारा हुआ. भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर पूर्ण अधिकार मिले, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का नियंत्रण दिया गया.