संभल-संभल कर चलना होगा! अल्पमत में भी BJP को सरप्लस, क्या हैं NDA में इसके मायने?

NDA Government Number Game: लोकसभा चुनाव 2024 में आए परिणामों के बाद 10 साल में ऐसा पहली बार हो रहा जब भाजपा के पास अकेले का पूर्ण बहुमत नहीं है. नरेंद्र मोदी इस बार भाजपा के न होकर NDA के प्रधानमंत्री हैं. ऐसे में क्या भाजपा को संभल-संभल कर चलना होगा? आइये जानें अल्पमत के बाद भी गठबंधन में बीजेपी को सरप्लस कैसे है.

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NDA Government Number Game: लोकसभा चुनाव के बाद भारत में सरकार का गठन हो गया है. पिछले 10 सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि भाजपा के पास अकेले का बहुमत नहीं है. ऐसे में बार-बार ये सवाल आता है कि क्या अगले 5 साल भाजपा को हर कदम संभल-संभल कर चलना होगा? या फिर ये गठबंधन कितने दिन चल पाएगा. इस संबंध में ई श्रीधरन ने एक लेख लिखा और बताया कि क्या-क्या परिस्थितियां निर्मित हो सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में ई श्रीधरन (पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय के भारत संबंधी अध्ययन केंद्र के  मुख्य कार्यकारी) ने भारत में 2024 के गठबंधन के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि किन कारणों से भाजपा को संभल-संभल कर चलना होगा.

धीमी होती है रफ्तार

2024 की भाजपा नेतृत्व वाली NDA सरकार अपनी तरह की पहली सरकार है. जो बिना बहुमत वाली पार्टी के सरप्लस बहुमत वाला गठबंधन है. मतलब की ऐसे दलों के साथ गठबंधन जिनके पास बहुमत नहीं है. पर वो एक बड़ी पार्टी के साथ आकर सरकार बनाते हैं. ये गठबंधन 2014 और 2019 की बहुमत वाले गठबंधन से अलग है. ऐसे में पगली के कम गतिशील होगा.

अतिरिक्त बहुमत वाले गठबंधन में सत्ता की गतिशीलता प्रमुख पार्टी के पक्ष में होती है. जैसा कि 2014 और 2019 में भाजपा के साथ होता रहा है. जब कोई भी भागीदार बहुमत के लिए निर्णायक नहीं होता तो वो दबाव भी नहीं डाल पाता है. ऐसे में इस बात से कोई दो राय नहीं है कि इस सरकार में भाजपा को संभल-संभल कर चलना हो.

क्या है अभी का अंक गणित?

अभी की सरकार में सबसे बड़ी पार्टी के पास 240 सीटें हैं. वहीं बीजेपी और मंत्रिमंडल के नौ सहयोगी दलों को मिलाने पर ये योग 287 हो जाता है. जबकि, 5 अन्य दलों की सीटें मिलाकर ये आंकड़ों 293 पर पहुंच जाता है. ऐसे में इस गठबंधन का कोई भी अकेला दल बहुमत को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं हैं.

सभी को एक दूसरे की जरूरत

ई श्रीधरन कहते हैं कि 272 के बहुमत से गठबंधन को दूर करने के लिए कम से कम दो सहयोगियों के बाहर निकलना होगा. इसमें से सबसे बड़े सहयोगी यों की संख्या क्रमशः 16, 12, 7 और 7 है. इनको साधने के लिए काफी समन्वय की आवश्यकता होगी. इसमें भाजपा को राज्य-स्तरीय मामलों को साधकर चलना होगा जिससे अशंतोष न बढ़ पाए. हालांकि, इन सभी प्रमुख पार्टियों को भी सावधानी से चलना होगा. क्योंकि इनके विपक्षी गठबंधन में शामिल होने से भी सरकार नहीं बन पाएगी.