Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) को प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद अब भी दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर असमंजस बना हुआ है. जहां एक ओर आम आदमी पार्टी (आप) को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाते हुए भाजपा ने 48 सीटें जीती हैं, वहीं, अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक उत्सुकता और चिंता दोनों में हैं. इस स्थिति ने भाजपा के अंदर एक नया सवाल खड़ा किया है: आखिर दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
दिल्ली के मुख्यमंत्री की नियुक्ति में एक खास प्रक्रिया शामिल है, क्योंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है. इसलिए, दिल्ली में मुख्यमंत्री की नियुक्ति के लिए भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक होती है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, एक बार भाजपा ने मुख्यमंत्री के लिए अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम तय कर लिया, तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की सलाह पर इस नियुक्ति को मंजूरी देंगी. यह प्रक्रिया 2 से 3 दिनों तक का समय ले सकती है.
सूत्रों का कहना है कि जैसे अन्य भाजपा शासित राज्यों में शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति रहती है, वैसे ही दिल्ली में भी यह संभव हो सकता है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय अमेरिका दौरे पर होंगे और वहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से महत्वपूर्ण बैठक करेंगे, जिसके कारण शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन 15 फरवरी के बाद किया जा सकता है.
भा.ज.पा. के लिए यह निर्णय महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी ने दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता हासिल की है. इस लिहाज से भाजपा इस महत्वपूर्ण निर्णय को अत्यधिक सोच-समझकर करेगी. पार्टी जाति, अनुभव और राजनीतिक रणनीति के बीच संतुलन बनाते हुए किसी एक काबिल उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद के लिए चुन सकती है. एक पार्टी सूत्र ने कहा, 'इन चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक—पंजाबी, बनिया, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग और अन्य—ने हमें भारी समर्थन दिया है. नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र में सात सीटें जीतने से यह भी जाहिर होता है कि लोगों ने हम पर विश्वास जताया है. अब पार्टी सभी इन कारकों को ध्यान में रखते हुए ही अपने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करेगी.'
दिल्ली में भाजपा की जीत को ऐतिहासिक माना जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री के नाम को लेकर पार्टी के अंदर कोई भी जल्दीबाजी नहीं दिख रही है. पार्टी अपनी राजनीतिक स्थिति और गठबंधन को देखते हुए एक ऐसा नेता चुनने की योजना बना रही है, जो न केवल पार्टी के लिए संतुलित हो बल्कि दिल्ली की जनता में भी अच्छा प्रभाव बना सके.
इस बीच, दिल्ली में मुख्यमंत्री की दौड़ में कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन भाजपा के नेतृत्व को अपने कद्दावर उम्मीदवार का चयन करने में थोड़ा समय लग सकता है. यह फैसला भाजपा के भीतर छिपे हुए विवादों और राजनीति की पेचीदगियों के कारण और भी जटिल हो सकता है.