'नेहरू ने स्वतंत्रता के बाद अंबेडकर को दरकिनार कर किया अपमानित', 2 वीडियो जारी कर बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व ने चुनावों में अंबेडकर को हराने की साजिश रची. 1951-52 के पहले आम चुनावों में अंबेडकर ने मुंबई उत्तर मध्य सीट से अनुसूचित जाति फेडरेशन के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी और उनके पूर्व सहयोगी बताए गए नारायण सदोबा काजरोलकर ने हरा दिया.

देश भर में भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 135वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस की आलोचना तेज कर दी है. इस दौरान भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में अंबेडकर को दरकिनार किया और अपमानित किया.
सोमवार (14 अप्रैल) को भाजपा ने दो नाटकीय वीडियो जारी किए, जिनमें उस दौर के प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रमों को दर्शाया गया है. इस वीडियो में दावा किया गया है कि डॉ. अंबेडकर को बार-बार अपमानित किया गया, जिसके कारण उन्हें नेहरू के नेतृत्व वाली कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा. वहीं, बीजेपी के अनुसार, अंबेडकर को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करने में सरकार की विफलता की उनकी मुखर आलोचना के कारण हटाया गया.
भंडारा उपचुनाव में भी अंबेडकर को मिली पराजय
हालांकि, साल 1951-52 के पहले आम चुनावों में अंबेडकर ने अनुसूचित जाति संघ के टिकट पर मुंबई उत्तर मध्य से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार और कथित तौर पर अंबेडकर के पूर्व सहयोगी नारायण सदोबा काजरोलकर से हार गए. इस वीडियो में दावा किया गया है कि नेहरू ने अंबेडकर की हार सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अभियान चलाया था. उस हार के बाद अंबेडकर ने 1954 में महाराष्ट्र के भंडारा में फिर से उपचुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार भाऊराव बोरकर से मामूली अंतर से हार गए.
देश डॉ. अंबेडकर के साथ हुए अपमान को कभी नहीं भूलेगा
ये प्रकरण कांग्रेस नेतृत्व द्वारा संविधान के मुख्य वास्तुकार की विरासत को राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने और मिटाने के एक व्यवस्थित प्रयास को दर्शाते हैं. इस बीच बीजेपी का दावा है कि राष्ट्र डॉ. अंबेडकर के साथ किए गए अपमान को कभी नहीं भूलेगा.