देश भर में भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 135वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस की आलोचना तेज कर दी है. इस दौरान भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में अंबेडकर को दरकिनार किया और अपमानित किया.
सोमवार (14 अप्रैल) को भाजपा ने दो नाटकीय वीडियो जारी किए, जिनमें उस दौर के प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रमों को दर्शाया गया है. इस वीडियो में दावा किया गया है कि डॉ. अंबेडकर को बार-बार अपमानित किया गया, जिसके कारण उन्हें नेहरू के नेतृत्व वाली कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा. वहीं, बीजेपी के अनुसार, अंबेडकर को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करने में सरकार की विफलता की उनकी मुखर आलोचना के कारण हटाया गया.
In the first Lok Sabha elections of 1951–52, Dr B R Ambedkar contested the Mumbai North Central constituency as a candidate of the Scheduled Castes Federation. He was defeated by Narayan Sadoba Kajrolkar, a Congress candidate who had previously served as Ambedkar’s personal… pic.twitter.com/UNXDZeHpeC
— BJP Meghalaya (@BJP4Meghalaya) April 14, 2025
वीडियो में दिखाया गया अंबेडकर का विरोध और इस्तीफा
बता दें कि, इस वीडियो में संसद में अंबेडकर के भाषण को नाटकीय रूप में दिखाया गया है, जिसमें उन्हें यह कहते हुए दिखाया गया है, "क्या केवल मुसलमानों को ही विशेषाधिकार प्राप्त हैं? अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को समान स्तर की सुरक्षा क्यों नहीं दी जानी चाहिए? मैं ऐसी सरकार का हिस्सा नहीं हो सकता." भाजपा ने आगे आरोप लगाया कि चुनावों के दौरान कांग्रेस नेतृत्व ने जानबूझकर डॉ. अंबेडकर को कमतर आंका.
Dr B R Ambedkar’s dedication to uplifting the Scheduled Castes and other marginalized communities was a driving force in his political career. He felt that Jawaharlal Nehru government’s policies were not adequately addressing the needs of these communities and hence he resigned… pic.twitter.com/g71ZhCv7mv
— Amit Malviya (@amitmalviya) April 14, 2025
भंडारा उपचुनाव में भी अंबेडकर को मिली पराजय
हालांकि, साल 1951-52 के पहले आम चुनावों में अंबेडकर ने अनुसूचित जाति संघ के टिकट पर मुंबई उत्तर मध्य से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार और कथित तौर पर अंबेडकर के पूर्व सहयोगी नारायण सदोबा काजरोलकर से हार गए. इस वीडियो में दावा किया गया है कि नेहरू ने अंबेडकर की हार सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अभियान चलाया था. उस हार के बाद अंबेडकर ने 1954 में महाराष्ट्र के भंडारा में फिर से उपचुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार भाऊराव बोरकर से मामूली अंतर से हार गए.
देश डॉ. अंबेडकर के साथ हुए अपमान को कभी नहीं भूलेगा
ये प्रकरण कांग्रेस नेतृत्व द्वारा संविधान के मुख्य वास्तुकार की विरासत को राजनीतिक रूप से अलग-थलग करने और मिटाने के एक व्यवस्थित प्रयास को दर्शाते हैं. इस बीच बीजेपी का दावा है कि राष्ट्र डॉ. अंबेडकर के साथ किए गए अपमान को कभी नहीं भूलेगा.