जरा सी आंधी में जानलेवा बन जाते हैं बिलबोर्ड, मचाते हैं भारी तबाही, क्या हैं इनसे जुड़े नियम-कानून?
Deadly Billboards: मुंबई के घाटकोपर में बिलबोर्ड की चपेट में आने से सोमवार शाम को 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए. बिलबोर्ड्स जरा सी आंधी में जानलेवा बन जाते हैं, जिससे भारी तबाही मचती है. आइए, जानते हैं बिलबोर्ड्स से जुड़े नियम और कानून क्या हैं?
Deadly Billboards: मुंबई में सोमवार शाम अचानक मौसम बिगड़ गया और आंधी चलने लगी. इस दौरान घाटकोपर इलाके में एक बिलबोर्ड के गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए. जरा सी आंधी के बाद बिलबोर्ड्स के गिरने से मची तबाही के बाद NDRF की टीम ने राहत बचाव कार्य चलाया. आशंका जताई गई है कि मृतकों और घायलों की संख्या में इजाफा भी हो सकता है. उधर, मौसम के बिगड़ने के बाद मुंबई में हवाई सेवाएं भी प्रभावित हुईं. कई फ्लाइट्स देरी से उड़ान भरी और कई को डायवर्ट किया गया.
घाटकोपर मेें बोलबोर्ड्स के गिरने के मामले में पुलिस ने एगो मीडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एगो मीडिया के मालिक भावेश भिंडे और अन्य पर IPC की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 338 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालकर गंभीर चोट पहुंचाना) और 337 (जल्दबाजी या लापरवाही से काम करके किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. आइए, जानते हैं कि आखिर बिलबोर्ड्स को लेकर क्या नियम और कानून हैं?
बिलबोर्ड्स को लेकर हादसों की खबर कोई नई नहीं हैं. खासकर शहरों में ये आम बात है. कई बार ऐसा होता है कि हादसे के बाद अधिकारी इस मामले की जांच पड़ताल में जुटते हैं कि क्या बिलबोर्ड अवैध था? अगर बिलबोर्ड अवैध था, तो इसे कैसे लगाया गया था?
नियम और कानून को जानने से पहले कुछ अन्य शहरों में बिलबोर्ड्स की घटनाओं के बारे में जान लीजिए. 2008 में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हजारों अनधिकृत होर्डिंग्स हटा दिए गए थे. लेकिन दुर्भाग्य से ये कार्रवाई ज्यादा दिनों तक नहीं चली. उल्लंघन करने वालों में पॉलिटिकल पार्टियां ज्यादा थीं. कई नेताओं ने फ्लेक्स बैनर और कट-आउट लगाए गए थे.
2019 में चेन्नई में इन बिलबोर्ड्स को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन उस वक्त हुआ था, जब एक पॉलिटिकल पार्टी की ओर से लगाए गए बैनर की चपेट में आने से स्कूटर चला रही एक महिला की मौत होग गई थी. कहा जाता है कि बिलबोर्ड्स को लेकर जो नियम और कानून बनाए गए हैं, उन पर राजनीतिक हस्तियों के हस्तक्षेप के कारण प्रशासन की कार्रवाई की इच्छा शक्ति कम हो जाती है.
बिलबोर्ड्स को लेकर ये हैं नियम और कानून
नगर पालिकाओं में बिना लाइसेंस वाले होर्डिंग्स की गिनती करना और उल्लंघन पर उनके खिलाफ कार्रवाई करना होता है. इसके अलावा, अवैध होर्डिंग्स और बिलबोर्ड्स का समय-समय पर निरीक्षण भी करना होता है. इसके अलावा, अस्थिर या अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई का भी नियम है. लेकिन चिंता की बात ये है कि जो न्यायपालिका बिलबोर्ड के रेग्यूलेशन की मांग करती है, अक्सर अधिकारियों को अवैध बिलबोर्ड हटाने से रोकने के आदेश भी जारी करती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बिलबोर्ड्स के नियमों के उल्लंघन पर आरोपियों के खिलाफ मौतों के मामले में गंभीर आरोप लगाना, ब्लैकलिस्ट में डालना और उनसे मुआवज़ा वसूलना, मिलीभगत करने वाले अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का प्रावधान है. कई इंटरनेशनल स्टडीज में कहा गया है कि बिलबोर्ड्स सड़कों पर चलने वालों के लिए खतरनाक हैं, क्योंकि वे सड़कों पर चल रही गाड़ियों के ड्राइवर्स को प्रभावित करती हैं. इसके अलावा, तेज हवा या आंधी में भी ये खतरनाक होती है.
इस तरह के ध्यान भटकाने से होने वाली दुर्घटनाओं को भारत में सालाना रोड एक्सीडेंट की रिपोट में शामिल करना चाहिए. इससे होर्डिंग और आउटडोर एड (विज्ञापन) मार्केट पर बेहतर नीतियां तैयार करने में मदद मिल सकती है.
मुंबई के घाटकोपर में सोमवार शाम को क्या हुआ था?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, घाटकोपर के पंतनगर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज की गई है, जिसमें कहा गया है कि चेड्डानगर जंक्शन के पास एक पेट्रोल पंप पर लगा 100 फुट लंबा-चौड़ा बिलबोर्ड तेज़ हवा और बारिश के बीच गिर गया, जिससे 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए. इस मामले में शुरुआती जांच में सामने आया है कि तेज हवा और बारिश में गिरा बिलबोर्ड अवैध था और इसे लगाने के लिए नगर निगम से कोई इजाजत नहीं ली गई थी. घाटकोपर में तेज हवा और बारिश में गिरे बिलबोर्ड का नाम लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है. इसे सबसे बड़े होर्डिंग के तौर पर बताया गया था.