Bihar Reservation: विधानसभा से आरक्षण विधेयक को हरी झंडी, समझें नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में कितना होगा कोटा

Bihar Reservation Bill: बिहार विधानसभा में 75 प्रतिशत आरक्षण संशोधन विधेयक सर्व सहमति से पारित हो गया है. आसान भाषा में समझें आरक्षण का पूरा गणित.

Amit Mishra

Bihar Reservation Bill: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में जातिगत आरक्षण को 65% तक बढ़ाने का बिल पास हो गया है. अभी तक के ये 50 प्रतिशत था. अब यह कुल मिलाकर 75 प्रतिशत आरक्षण वाला विधेयक होगा. इस विधेयक में OBC-EBC की 43 फीसदी हिस्सेदारी होगी. इसके समीकरण को कुछ इस तरह से समझा जा सकता है कि बिहार में अभी आरक्षण की सीमा 50% है. आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) को 10% आरक्षण इससे अलग मिलता था. लेकिन अब कुल 65 फीसदी आरक्षण मिलने लगेगा. इसके अलावा EWS का 10% अलग रहेगा. ऐसे में कुल मिलकर 75% आरक्षण का स्लॉट बन जाएगा.

इसे ऐसे समझें

वर्ग- पहले कितना- प्रस्ताव कितना

अत्यंत पिछड़ा- 18 से बढ़ाकर - 25
पिछड़ा- 12 से बढ़ाकर- 18
अनुसूचित जाति-  16 से बढ़ाकर- 20
अनुसूचित जनजाति- 1 से बढ़ाकर-  2
जबकि EWS का 10 पहले से


 

एक नजर में अहम बातें

- बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) (संशोधन) विधेयक 2023 में आरक्षण का प्रविधान इस तरह किया गया है.

- अनुसूचित जाती-20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाती-02 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग-25 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग-18 प्रतिशत (इसमें 10 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए). विधेयक के अनुसार प्रोन्नति के मामले में सिर्फ अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाती को विशेष सुविधा मिलेगी.

-बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में ) आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 में नामांकन में आरक्षण का प्रविधान इस तरह है.

- अनुसूचित जाती- 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाती- 02 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग- 25 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग- 18 प्रतिशत.

कैसे बनेगा कानून

बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है जहां आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत तक करने का सरकार ने प्रस्ताव पारित कर दिया है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र  में (09-11-2023) आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया, जिसे सर्व सम्मति से पास करा लिया गया. बीजेपी ने भी बिल को खुला समर्थन दिया. हालांकि विधेयक में EWS के आरक्षण का जिक्र नहीं होने पर बीजेपी ने सवाल जरूर उठाए. अब ये विधेयक विधान परिषद और राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा.

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