Nitish Kumar in Bihar Politics: बिहार ही नहीं देश की सियासत में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अबूझ पहेली बन चुके हैं. नीतीश कब कौन सी चाल चलेंगे इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुकिन है. कभी नीतीश गठबंधन दल के साथी का राजनीतिक चीरहरण कर देते हैं तो कभी विपक्षी दल का इतना महिमामंडन कर देते हैं कि पूरा सियासी समीकरण बदलता हुआ नजर आने लगता है. लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश ने विरोधी दलों को एक कर एनडीए (NDA) के खिलाफ लड़ने का जो सपना देखा तो उसे वो खुद ही चूर-चूर करते हुए नजर आ रहे हैं. विपक्षी दलों का गठबंधन अभी तक तो बना नहीं लेकिन अब नीतीश कुमार की सियासी चालों नें आरजेडी और कांग्रेस की धड़कनों को जरूर बढ़ा दिया है. तो चलिए आपको बताते हैं कि नीतीश कुमार ने कब-कब पाला बदला है.
तो शुरू करते हैं साल 1994 से जब नीतीश कुमार ने समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस, ललन सिंह के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया था. 1995 के चुनाव में उन्होंने वामदलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें उस तरह की सफलता नहीं मिली जिसकी वो उम्मीद कर रहे थे. नतीजा ये हुआ कि नीतीश कुमार ने सीपीआई के साथ गठबंधन तोड़ लिया और एनडीए के साथ आ गए.
1996 के लोकसभा चुनाव से कुछ पहले नीतीश एनडीए का हिस्सा बन गए और बीजेपी के साथ उनका ये रिश्ता 2010 के विधानसभा चुनाव तक चला. इस चुनाव में एनडीए को बड़ी जीत मिली थी. साल 2012 में नरेंद्र मोदी का कद बढ़ने के साथ ही नीतीश कुमार एनडीए में असहज होने लगे और 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने के एलान कर दिया.
लोकसभा चुनाव में जदयू को महज 2 सीटों पर जीत मिली जिसके बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद भी छोड़ दिया. बाद में लालू प्रसाद के मिलकर उन्होंने महागठबंधन बनाया और 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम बने. विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को बड़ी सफलता मिली.
करीब ढाई साल बाद 2017 में नीतीश कुमार ने फिर से पाला बदल सभी को चौंका दिया. अब उन्हें महागठबंधन में ही खामी दिखने लगी. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का IRCTC घोटाले में नाम आया, जिसके बाद नीतीश कुमार 'अंतरआत्मा' की आवाज सुनते हुए महागठबंधन खत्म कर दिया और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के तुरंत बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए और गठबंधन करके सरकार बना ली.
2020 में बिहार विधानसभा चुनाव हुए. नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीते भी. चुनाव में उनकी पार्टी JDU को मात्र 43 सीटें हासिल हुईं. BJP को 74 और RJD को 75 सीटें मिलीं. लेकिन सीएम का ताज नीतीश कुमार के सिर पर सजा. देखने वाली बात ये रही कि सीटें सबसे कम होन के बाद भी नीतीश के सिर सत्ता का ताज सजा.
समय आगे बढ़ और 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारी. अब उन्हें बीजेपी से दिक्कत होने लगी. तमाम कारण बताते हुए उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी का साथ छोड़ दिया. इसके एक घंटे के अंदर उन्होंने RJD, कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिलाकर सरकार बना ली. तेजस्वी को फिर से डिप्टी सीएम बनाया.
नीतीश कुमार के चलते बिहार का सियासी पारा एक बार फिर हाई है. 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. अब चुनाव से पहले अटकलों का बाजार गर्म है और माना जा रहा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन के साछ छोड़कर एनडीए में वापसी कर सकते हैं.