Bihar Politics: जनता दल यूनाइडेट (JDU) के सीनियर नेता केसी त्यागी ने नीतीश कुमार के I.N.D.I.A गठबंधन से बाहर आने और NDA में शामिल होने की वजहों के बारे में जानकारी दी है. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कांग्रेस पर बड़े आरोप लगाते हुए दावे किए कि लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन से धीरे-धीरे कर सभी पार्टियां बाहर आ जाएंगी. बता दें कि जेडीयू नेता केसी त्यागी ने एक अखबार से बातचीत में ये दावा किया कि कांग्रेस गठबंधन में शामिल छोटे दलों को खत्म करने की साजिश रच रही थी, इसलिए नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से बाहर आ गए.
केसी त्यागी ने कहा कि 2022 में भाजपा और कांग्रेस से अलग ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, केसीआर, अखिलेश यादव समेत कई अन्य नेता भाजपा के खिलाफ तीसरा गुट बनाने की जुगत में थे. इस दौरान नीतीश कुमार ने सभी दलों को एक मंच पर लाने के लिए भाजपा से नाता तोड़ लिया और 16 सांसदों के साथ एनडीए फोल्डर से बाहर आ गए. I.N.D.I.A गठबंधन से पहले के दिनों को याद करते हुए केसी त्यागी ने कहा कि सितंबर 2022 में हिसार में चौधरी देवीलाल की जयंती के मौके पर बड़ी संख्या में विपक्षी नेता एकजुट हुए थे. इस मौके पर मौजूद नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस के बिना कोई ऐसा मोर्चा नहीं हो सकता, जो भाजपा को टक्कर दे. इसके बाद I.N.D.I.A गठबंधन की रूपरेखा तैयार होने लगी.
केसी त्यागी ने बताया कि इसके करीब चार महीनों के बाद कुछ नहीं हुआ. फिर नीतीश कुमार ने लालू यादव के साथ सोनिया गांधी से मुलाकात की और विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने को कहा. इसके बाद भी नीतीश कुमार एक बार फिर दिल्ली आए और विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए पटना में पहली बैठक आयोजित की, जिसमें 16 राजनीतिक दलों के नेता पहुंचे. पटना की बैठक के बाद बेंगलुरु और मुंबई में भी विपक्षी दलों की बैठक हुई. बैठकों के दौर के बीच ही I.N.D.I.A गठबंधन का उदय हुआ.
जदयू के सीनियर नेता केसी त्यागी ने कहा कि I.N.D.I.A गठबंधन के तहत विपक्षी दलों की बैठकों की दौर के बीच लोकसभा चुनाव के लिए देश की 400 से अधिक सीटों पर भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार खड़ा करने की चर्चा की गई लेकिन कांग्रेस की ओर से इस चर्चा को धीमा कर दिया गया. सीट बंटवारे में देरी की गई. इसी दौरान जब नीतीश कुमार और अखिलेश यादव ने सीट शेयरिंग में हो रही देरी को लेकर सवाल उठाए तो कांग्रेस की ओर से कई अड़चनें लगाई जाने लगी. केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस ने करीब एक दर्जन राज्यों में सीट शेयरिंग से इनकार कर दिया और कहा कि विपक्षी गठबंधन में शामिल छोटे दल क्षमता से अधिक सीटें मांग रहे हैं. केसी त्यागी ने कहा कि छोटे दलों के खिलाफ ये कांग्रेस की साजिश थी.
केसी त्यागी ने कहा कि वे (कांग्रेस) नहीं चाहते कि सभी लोग एक साथ लड़ें. नीतीश ने उन्हें बड़ा मंच मुहैया कराया. असम का मामला लीजिए, जहां (बदरुद्दीन) अजमल की पार्टी के दो सांसद हैं और कांग्रेस उनके साथ समझौता नहीं करना चाहती... वहां 80% मुस्लिम हैं. कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करना चाहती है. शिवसेना और एनसीपी से पूछें .. कांग्रेस के पास महाराष्ट्र में एक सीट है और वे 24 मांग रहे हैं.
केसी त्यागी ने कहा कि मुंबई में I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक में तय हुआ था कि गठबंधन कोई चेहरा पेश नहीं करेगा. लेकिन बाद में जयराम रमेश और उनके सहयोगियों ने ये सुनिश्चित किया कि बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित किया जाए. केजरीवाल ने प्रस्ताव का समर्थन किया. केसी त्यागी ने कहा कि ऐसी साजिश और चालाकी की क्या ज़रूरत थी? हालांकि खड़गे ने विनम्रता से इनकार कर दिया, लेकिन ये नेतृत्व (ब्लॉक) पर कब्जा करने की कांग्रेस की साजिश थी.
केसी त्यागी ने कहा कि गठबंधन में कुछ हो नहीं रहा था, दूसरी ओर भाजपा बूथ स्तर पर सम्मेलन कर रही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के बूथ स्तर सम्मेलन के मुकाबले कांग्रेस पदयात्रा निकाल रही है, जिसमें राहुल गांधी से दोगुने उम्र के नेताओं को बुलाया जा रहा है. कुल मिलाकर I.N.D.I.A गठबंधन में शिथिलता के बाद हमलोगों ने इस गठबंधन से बाहर आने का फैसला किया.
केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस के मुकाबल भाजपा की कार्यशैली ज्यादा उदारवादी है. हम पहले भी एनडीए में रहे हैं. 2014 में हमें केवल दो लोकसभा सीटें मिलीं, लेकिन भाजपा ने 2019 में 17 सीटें छोड़ दीं, जिनमें से पांच या छह सीटें ऐसी थीं, जहां उनके (भाजपा) मौजूदा सांसद थे. केसी त्यागी ने कहा कि अनुच्छेद 370 हो या फिर यूसीसी... भाजपा के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हैं, जिस पर हम कोई समझौता नहीं करेंगे. राम मंदिर पर भी हमने कहा था कि कोर्ट फैसला करेगा.
I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों के बारे में चर्चा करते हुए केसी त्यागी ने कहा कि हमने सपा, एनसीपी...कई पार्टियों से संपर्क बनाए रखा है. वे सभी दुखी हैं. आज कांग्रेस के सामने सवाल अस्तित्व का है. उन्हें जीवित रहने के लिए बलिदान देना चाहिए था. वे मध्य प्रदेश में (विधानसभा चुनाव में) सपा को चार सीटें दे सकते थे. कमलनाथ इतने अहंकारी थे कि चर्चा के लिए भी तैयार नहीं थे.
नीतीश कुमार के यूटर्न लेने के बाद उनकी छवि को लेकर पूछे गए सवाल पर केसी त्यागी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया, मधु लिमये, जॉर्ज फर्नांडीस जैसे नेताओं ने भी जनसंघ और भाजपा के साथ काम किया है. देखा जाए तो हम सभी गैर-कांग्रेसी राजनीति की उपज हैं. गैर कांग्रेसी राजनीति में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है.