13 जनवरी को I.N.D.I.A बैठक में ऐसा क्या हुआ, जो गठबंधन से हट गया नीतीश का मन, जानें यूटर्न की इनसाइड स्टोरी

अंदर की कहानी के मुताबिक, 13 जनवरी को I.N.D.I.A गठबंधन की एक बैठक हुई. इसी बैठक के बाद नीतीश कुमार ने गठबंधन फोल्डर से बाहर आने का मन बना लिया. 

Om Pratap

Bihar CM Nitish Kumar u-turn Decision inside story: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2022 में भाजपा से अलग होने के बाद NDA के खिलाफ बड़ा कदम उठाया. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उन्होंने सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की पहल की और उनकी मेहनत रंग भी लाई. विपक्षी दलों की पहली बैठक की मेजबानी उन्होंने बिहार की राजधानी पटना में की. विपक्षी दलों की अब तक 5 बैठक हो चुकी है, लेकिन इस बीच ऐसा काफी कुछ हुआ, जिससे नीतीश कुमार निराश हो गए और करीब-करीब विपक्षी दलों के गठबंधन से बाहर आने का फैसला ले लिया. 

आखिर ऐसा क्या और कब हुआ, जिससे नीतीश कुमार को निराशा हुई, जिसके बाद उन्होंने एक बार फिर से चौंकाने वाला फैसला ले लिया. इस पूरे मामले की इनसाइड स्टोरी सामने आई है. अंदर की कहानी के मुताबिक, 13 जनवरी को I.N.D.I.A गठबंधन की एक बैठक हुई. इसी बैठक के बाद नीतीश कुमार ने गठबंधन फोल्डर से बाहर आने का मन बना लिया. 

आखिर 13 जनवरी को I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक में क्या हुआ था?

सूत्रों के मुताबिक, 13 जनवरी को I.N.D.I.A गठबंधन की 5वीं और पहली वर्चुअल बैठक हुई. बैठक में संयोजक के तौर पर नीतीश कुमार का नाम CPM नेता सीताराम येचुरी ने प्रस्तावित किया. येचुरी के इस प्रस्ताव को लालू यादव और शरद पवार समेत कई अन्य नेताओं का समर्थन मिला. हालांकि, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बीच में हस्तक्षेप किया और कहा कि इस पर अंतिम निर्णय के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए. 

राहुल गांधी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी को इस प्रस्ताव पर आपत्ति है. हालांकि, बाद में तेजस्वी यादव ने कहा था कि कि ममता बनर्जी इस वर्चुअल बैठक में शामिल नहीं थीं और संयोजक के पद पर नीतीश कुमार के प्रस्ताव पर मंजूरी के लिए उनके निर्णय का इंतजार करना ठीक नहीं है, क्योंकि वर्चुअल बैठक में मौजूद अधिकतर नेताओं ने नीतीश कुमार के नाम पर सहमति जताई थी. 

नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों के मुताबिक, जब राहुल गांधी ने नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने के प्रस्ताव में हस्तक्षेप की, तो इसका विरोध न तो मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया और न ही सोनिया गांधी ने. इसके बाद नीतीश कुमार को लगा कि उन्होंने जिस उद्देश्य को लेकर विपक्षी दलों को एक मंच पर एकजुट किया है, वो उद्देश्य पूरा ही नहीं हो सकता. इसलिए आखिर में उन्होंने विपक्षी दलों के गठबंधन से बाहर आने का मन बना लिया. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने इस पूरे प्रकरण को अपने अपमान से भी जोड़कर देखा. 

बिहार में राजनीतिक बवाल का क्या है कारण?

बिहार की राजनीति में आए इस बवाल की वजह लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य का एक ट्वीट है. उन्होंने अपने एक्स अकाउंट से तीन पोस्ट किए थे. इसके बाद बिहार की सियासत में हंगामा मचा हुआ है. मामले ने इतना अधिक तूल पकड़ लिया कि सीएम नीतीश ने रोहिणी के पोस्ट की जानकारी मंगवा ली. इसके बाद रोहिणी ने चुपचाप बिना सफाई दिए ही अपने ट्वीट डिलीट कर दिए. बिहार की राजनीति में महागठबंधन के दो मुख्य सहयोगियों के बीच दरार ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.

दरअसल, रोहिणी आचार्य के ट्वीट से पहले नीतीश कुमार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के एलान का स्वागत किया था और केंद्र सरकार और पीएम मोदी को धन्यवाद दिया था. उन्होंने कहा 'जदयू की पुरानी मांग पूरी करने के लिए पीएम मोदी को हृदय से आभार.' इसके अगले दिन, कर्पूरी जन्मशती के मौके आयोजित कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने परिवारवाद पर हमला बोला था, उन्होंने कहा था 'कर्पूरी ठाकुर भी राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ थे'. नीतीश के इस बयान को परोक्ष रुप से लालू पर हमले के रूप में देखा जा रहा है, वहीं इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी पर कोई हमला नहीं किया.

नीतीश थाम सकते हैं बीजेपी का हाथ!

फिलहाल, बिहार में सियासी संकट गहराया है. गुरुवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और विनोद तावड़े गृहमंत्री अमित शाह के घर उनसे मुलाकात करने पहुंचे. वहीं, बीजेपी नेता नित्यानंद राय भी जीतन राम मांझी से मिलने पहुंचे. इसी बीच बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा है कि 'दो से तीन दिन में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आ जाएंगे. बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है. जेडीयू विधायकों को तोड़ने से नीतीश कुमार काफी दुखी हैं. पीएम मोदी और नीतीश कुमार दोनों ही एक जैसा सोचते हैं. पीएम मोदी खुद नहीं चाहते हैं कि नीतीश उनसे दूर रहें.'

अगले 24 घंटे बिहार में सत्ता परिवर्तन के लिहाज से महत्वपूर्ण 

गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर बड़ी बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, विनोद तावड़े, सुशील मोदी, सम्राट चौधरी, बिहार के संगठन मंत्री भिखु भाई दलसानिया, पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी और बीजेपी के बिहार झारखंड के क्षेत्रीय संगठन मंत्री नागेंद्र, विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय सिन्हा और पूर्व डिप्टी सीएम तारकीशोर प्रसाद मौजूद रहे. कहा जा रहा है इस बैठक में बीजेपी ने अपना आगे का प्लान तैयार कर लिया है. ऐसे में अगले 24 घंटे सत्ता परिवर्तन के लिहाज से काफी उतार-चढ़ाव भरा रहने वाला है.

जानें BJP का आगे का प्लान? 

बिहार में सीएम पद को लेकर JDU-BJP के बीच पेंच फंसा हुआ है. CM नीतीश कुमार सीएम पद नहीं छोड़ना चाहते हैं, वहीं BJP चाहती है कि कि अगर गठबंधन की सरकार बनती है तो सीएम की कुर्सी उसके कोटे में आनी चाहिए. सूत्रों की मानें तो बीजेपी सीएम के बदले जेडीयू को दो डिप्टी सीएम पद देने का प्रस्ताव दे सकती है. ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो चली है कि अगगले एक दो दिन में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर से कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है. अगर बीजेपी बिहार में सरकार बनाती है तो वह अति पिछड़ा वर्ग के नेता को सीएम बनाकर नया सियासी दांव चल सकती है. बीजेपी कोटे से CM की रेस में पूर्व डिप्टी CM रेणु देवी का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है. वह अति पिछड़ा नोनिया समाज से आती है और उन्हें सरकार में रहने का लंबा अनुभव भी है. ऐसे में बीजेपी अति पिछड़ा फार्मूले के तहत आगे बढ़ सकती है.