डीग विधानसभा सीट पर भरतपुर राजघराने की बादशाहत बरकरार, क्या विश्वेंद्र सिंह लगा पाएंगे जीत की हैट्रिक?

Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव का चुनावी मैदान सजने लगा है. तमाम सियासी दिग्गज विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारियों में जी जीन से जुटे हुए है. ऐसे ही एक सियासी दिग्गज है भरतपुर के राजपरिवार के वारिस और भरतपुर जिले के डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक विश्वेन्द्र सिंह है.

Avinash Kumar Singh

नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव का चुनावी मैदान सजने लगा है. तमाम सियासी दिग्गज विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारियों में जी जीन से जुटे हुए है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार सबसे बड़ी जंग चुनाव में टिकट हासिल करने का है. वैसे तो सभी पार्टियों में टिकट की दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन सूबे की मुख्य दो सियासी दल बीजेपी और कांग्रेस में इन दिनों टिकटार्थियों का लंबी कतार देखने को मिल रही है. 

तमाम इलाकाई नेता अपने जीत का दम भरते हुए चुनावी मैदान में ताल ठोकने की बात कह रहे है. उनमें से एक राजनेता जो राजस्थान के सियासत के दिग्गज माने जाते है और उनकी पहचान एक बड़े सियासी सूरमा के तौर पर रही है. वो कोई और नहीं भरतपुर के राजपरिवार के वारिस और भरतपुर जिले के डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक विश्वेन्द्र सिंह है.

डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास

डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र सबसे निर्णायक मतदाता माने जाने वाले जाट और जाटव जाति ही राजनीतिक दल के प्रत्याशी की हार जीत तय का पैमाना तय करते रहे है. राजस्थान विधानसभा मे डीग से पहले विधायक 1952 से 1957 तक कांग्रेस के जुगलकिशोर चतुर्वेदी रहे. उसके बाद 1962 तक राजा मानसिंह, 1967 तक आदित्येन्द्र, 1972 तक कांग्रेस के करनसिंह, उसके बाद 1980 तक लगातार दो बार निर्दलीय राजा मानसिंह, 1990 तक लगातार दो बार कृष्णेन्द्र कौर दीपा और उसके बाद 2005 तक चार बार कुंवर अरुण सिंह विधायक बनते रहे.

16 मार्च 2005 में उनकी मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में पूर्व सांसद दिव्यासिंह डीग से विधायक बनीं. 2008 में डीग और कुम्हेर दोनों विधानसभाओं के एक डीग-कुम्हेर विधानसभा बनने के बाद यहां से डां दिगम्बर सिंह विधायक बने. तब राज्य में कांग्रेस की सरकार रही. उसके बाद 2013 और 2018 में डीग-कुम्हेर से विश्वेन्द्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गये.

जानें विश्वेंद्र सिंह का कैसा रहा है राजनीतिक करियर

भरतपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले विश्वेंद्र सिंह 1989 में जनता दल से लोकसभा सांसद चुने गए. विश्वेंद्र सिंह उन्होंने मंडल कमीशन के मामले को लेकर इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उस समय युवाओं ने आत्महत्या की थी. 1993 के विधानसभा चुनाव में नदबई विधानसभा से कांग्रेस से विधायक चुने गए. 1999 और 2004 में लगातार दो बार भरतपुर से बीजेपी से लोकसभा सदस्य चुने गए.

2009 में भरतपुर लोकसभा सीट आरक्षित होने के कारण लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ सके. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के राजनीतिक सलाहकार भी 2013 में डीग-कुम्हेर विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था. गहलोत खेमे के माने जाने वाले विश्वेन्द्र सिंह को अशोक गहलोत ने अपनी सरकार में सूचना और जनसम्पर्क विभाग के मंत्री बनाया. विश्वेन्द्र सिंह की प्रयासों की वजह से सीएम अशोक गहलोत ने डीग को भी नया जिला बनाया. जिसके बाद यहां विकास को पंल लगने का दावा किया जाता है.

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