बेंगलुरु की कंपनी का कमाल! बना रही खास 'अंतरिक्ष आवास', दावा- मस्क की SpaceX से हो रही बातचीत
ऐसे वक्त में जब अंतरिक्ष में इंसानों की उपस्थिति की भारत की आकांक्षाएं गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के रूप में आकार ले रही हैं, बेंगलुरु की एक स्टार्ट-अप कंपनी कमाल कर रही है. स्टार्ट-अप कंपनी की ओर से कहा गया है कि वो नेक्स्ट जेनरेशन के लिए स्पेस होम बना रही है. कंपनी का दावा है कि इसके लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स से उनकी बातचीत चल रही है.
बेंगलुरु की स्टार्ट-अप 'आकाशलब्धि' ने अंतरिक्ष यात्रियों, शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए एक खास 'घर' बना रही है. दावा किया जा रहा है कि ये 'घर' सुरक्षा समेत अन्य सभी मानकों पर पूरी तरह खरा उतरेगा. स्टार्ट-अप 'आकाशलब्धि' ने एलन मस्क की स्पेसएक्स के साथ इसे 2027 में लॉन्च की योजना बनाई है. इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड प्रमोशन डिपार्टमेंट (DPIIT) की ओर से मान्यता प्राप्त 'आकाशलब्धि' ने इस खास घर को नेक्स्ट जेनरेशन (अंतरिक्ष यात्रियों, शोधकर्ताओं और अंतरिक्ष पर्यटकों) को ध्यान में रखकर बनाया है. IIT-रुड़की में अपना काम शुरू करने के बाद, नवंबर 2023 से 'आकाशलब्धि' फर्म को IISc में इनक्यूबेट किया गया है और इसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु में है.
'अंतरिक्ष HAB' नाम वाले घर का एक प्रोटोटाइप मॉडल तैयार है. ऐसा नहीं है कि फिलहाल स्पेस में घर जैसा कुछ नहीं है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) है, जहां अंतरिक्ष यात्री रहते हैं. लेकिन इंटरनेशनल स्पेस सेंटर जैसे 'घर' लंबे समय से अपनी लागत, सीमित रहने की जगह के मुद्दे जैसे अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.
'आकाशलब्धि' ने बताया कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का वजन 4.2 लाख किलोग्राम है और इसे भेजने से लेकर स्पेस में रखने तक पर 15 सालों में 155 बिलियन डॉलर की लागत आती है, ये भी समस्याओं में से एक है. इसके विपरीत 'आकाशलब्धि' कॉम्पैक्ट आवास यानी 'अंतरिक्ष HAB' को धरती से स्पेस में भेजेगी, जहां इसे फुलाया जा सकेगा. यानी इसका आकार बैलून जैसा होगा.
'आकाशलब्धि' के CEO ने क्या कहा?
आकाशलब्धि के CEO सिद्धार्थ जेना ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 1100 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद इसे पूरी तरह से फुलाने में करीब एक हफ्ते का वक्त लगेगा. हमने 'अंतरिक्ष HAB' बनाने के लिए 7 लेयर का यूज किया है. हमारे पास डिजाइन के लिए पेटेंट है और अब हम यूज की जाने वाले मैटेरियल और प्रोसेस के लिए पेटेंट का इंतजार कर रहे हैं. इसलिए इस समय हम मैटेरियल और प्रोसेस के बारे में कुछ ज्यादा नहीं बता सकते.
उन्होंने कहा कि कुछ महत्वपूर्ण टेस्टिंग इसरो में किए गए हैं, जबकि कुछ अन्य टेस्टिंग के लिए फर्म को भारत के बाहर की सर्विस का उपयोग करने की जरूरत होगी. हम बर्स्ट प्रेशर और माइक्रोग्रैविटी जैसे टेस्टिंग के लिए नासा-जेपीएल के साथ बातचीत कर रहे हैं. जेना ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का एक महत्वपूर्ण पहलू क्लोज्ड-लूप लाइफ सपोर्ट सिस्टम का विकास है. इस सिस्टम के बारे में उन्होंने बताया कि ये हवा, पानी और कचरे को रीसाइकिल करने के लिए एडवांस सिस्टम है. इस पर काम भी प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि हम नरम मैटेरियल का यूज करते हैं, ये ठोस स्थिर संरचनाओं की तुलना में अंतरिक्ष मलबे के उत्पादन की संभावना को 82% तक कम करता है.
कंपनी के अफसर बोले- मस्क की स्पेसएक्स कर सकती है हमारी मदद
जेना ने कहा कि वास्तव में, हमारा लक्ष्य दुनिया की पहली 'स्पेस रियल एस्टेट कंपनी' बनना है. कंपनी के चीफ फाइनेंस अफसर मंजेश मोहन ने कहा कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है तो फर्म 2027 तक अपना पहला आवास लॉन्च करने का लक्ष्य बना रही है. उन्होंने कहा कि स्पेसएक्स के पास एक लॉन्च कार्यक्रम है जो हमारे लॉन्च को सक्षम कर सकता है और हम एक स्लॉट पर बातचीत कर रहे हैं.