Bengaluru Bandh Cauvery Water Row: कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर बरसों से चला आ रहा विवाद एक बार फिर बढ़ गया है. इस बीच कर्नाटक (Karnataka) राज्य के कई संगठनों ने 26 सितंबर को बेंगलुरु बंद (Bengaluru Bandh) का आह्वान किया है. किसान नेता कुरुबुरु शांताकुमार ने बंद के फैसले का ऐलान करते हुए विभिन्न संगठनों से सहयोग मांगा है. इतना ही नहीं किसान नेता ने स्कूलों, कॉलेजों, आईटी कंपनियों से भी छुट्टी घोषित करने की अपील की है. उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की भी मांग कर दी है.
बेंगलुरु में बंद का असर बड़े पैमाने पर देखने को मिल सकता है. बंद के दौरान व्यवसायों, छोटे और स्थानीय प्रतिष्ठानों के बंद रहने की उम्मीद है. बस सेवाओं के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन के भी प्रभावित होने की आशंका है. स्कूल और कॉलेज भी बंद रहने की आशंका है. बैंकों और कॉर्पोरेट कार्यालयों में बंद की सीमा अलग-अलग हो सकती है, कुछ बंद से प्रभावित हो सकते हैं. बंद का असर रेस्तरां और भोजनालयों पर दिख सकता है.
बेंगलुरु बंद के दौरान आवश्यक सेवाएं, विशेष रूप से अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं खुली रहने की उम्मीद है. वहीं, किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पुलिस, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी. हालांकि कुछ सरकारी कार्यालय प्रभावित हो सकते हैं, पुलिस विभाग जैसी आवश्यक सेवाएं चालू रहेंगी.
यहां ये भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) और कावेरी जल नियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) के आदेशों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. इसके बाद से ही कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. सीडब्ल्यूआरसी ने 12 सितंबर को दिए अपने आदेश में कर्नाटक को अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को हर दिन 5,000 क्यूसेक पानी देने का निर्देश दिया था. सीडब्ल्यूआरसी ने इस आदेश को बरकरार रखा था.
इस बीच कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा है कि पुलिस किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. किसान संगठनों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने कावेरी नदी घाटी जिलों मैसुरु, मांड्या, चामराजनगर, रामानगर, बेंगलुरु और राज्य के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया है. प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार से पड़ोसी राज्य को पानी नहीं छोड़ने का आग्रह किया है. कर्नाटक का कहना है कि वह कावेरी नदी घाटी क्षेत्रों में खड़ी फसलों के लिए सिंचाई के पानी और पेयजल की अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि मानसून में कम बारिश के कारण पानी की कमी हो गई है.
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