Supreme Court: पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत जूनियर डॉक्टर, आरजी कर अस्पताल की पीड़िता के लिए 9 अगस्त से न्याय की मांग कर रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को भी काम बंद रखा. हालांकि एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा शाम 5 बजे तक की समय-सीमा तय की गई थी. हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने मंगलवार को आरजी कर अस्पताल से स्वास्थ्य भवन के दरवाजे तक विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद उन्होंने रैली निकाली और साल्ट लेक में स्वास्थ्य भवन के बाहर धरना शुरू कर दिया.
एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निराश हैं . हमने राज्य सरकार को अपनी मांगें पूरी करने के लिए मंगलवार शाम 5 बजे तक की समयसीमा दी है. जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती, तब तक काम बंद रहेगा. इसलिए काम बंद रहेगा या नहीं, यह सरकार पर निर्भर करता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को राज्य सरकार की प्रतिकूल कार्रवाई से बचने के लिए मंगलवार शाम 5 बजे तक अपनी ड्यूटी पर लौटने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने यह निर्देश पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद दिया कि अगर प्रदर्शनकारी डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो उनके खिलाफ दंडात्मक तबादले समेत कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सोमवार को जूनियर डॉक्टरों से शीघ्र ही काम पर लौटने का अनुरोध किया. इससे पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बलात्कार एवं हत्या मामले की सुनवाई करते हुए आंदोलनकारियों से मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का अनुरोध किया था. बनर्जी ने सोमवार को राज्य सचिवालय में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से काम पर लौटने को कहा है. मैं भी यही अनुरोध करती हूं. अगर आप कुछ कहना चाहते हैं तो आपका हमेशा स्वागत है. 5 या 10 लोगों की टीम बनाएं और मुझसे मिलें.
पिछले हफ़्ते हड़ताली डॉक्टरों ने कोलकाता पुलिस के मुख्यालय लाल बाजार में इसी तरह की रैली निकाली थी और शहर के पुलिस प्रमुख के इस्तीफे की मांग की थी. डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल को पुलिस आयुक्त से मिलने की अनुमति दिए जाने के बाद 22 घंटे का धरना समाप्त हुआ . राज्य सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कम से कम 23 मरीजों की मौत हो गई है.