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यहां भीख दी तो पहुंच जाएंगे हवालात, अब भिखारी 'फ्री' बनेगा ये शहर

भारत में भीख मांगना और देना दोनों काफी आम बात है. लेकिन अब भोपाल में इसपर कानूनी तरीके से रोक लगाने की बात कही जा रही है. जिले के कलेक्टर ने इसपर निर्देश जारी करते हुए इसे सख्त तरीके से लागू करने की बात कही है.

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Edited By: Shanu Sharma
Bhopal Ban Begging
Courtesy: Social Media
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Bhopal Ban Begging: भारत में भीख देना और लेना दोनों ही बेहद आम बात है. हर सिग्नल और नुक्कड़ पर कोई औरत या कोई बच्चा भीख मांगते नजर आ जाते हैं. लेकिन भोपाल के जिला कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सोमवार को एक आदेश जारी कर जिले के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्रों में भीख मांगने पर रोक लगा दी है. हालांकि इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी अभी तक नहीं आई है. 

मीडिया रिपोर्ट से मिल रही जानकारी के मुताबिक भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 के अनुरूप विनियमन के अनुसार भिखारियों से दान देना या उनसे सामान खरीदना भी अवैध माना जाएगा. 

भीख मांगने और देने के खिलाफ आदेश जारी 

प्रशासन की ओर से इस आदेश को और भी ज्यादा सख्ती से लागू करने के लिए जिले के बाजारों, रोटरी, ट्रैफिक सिग्नल और पूजा स्थलों समेत अन्य कई सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे. कलेक्टर के आदेश में उल्लेख किया गया है कि भीख मांगने से प्रमुख चौराहों और रोटरी पर यातायात जाम हो रहा है. भिखारी अक्सर आपराधिक गतिविधियों और नशीली दवाओं के सेवन में शामिल होते हैं. जिसे रोकना अब बेहद जरूरी है.

कलेक्टर की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक अकेले या अपने परिवार के साथ भीख मांगने वाले व्यक्ति न केवल इस प्रथा पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि सार्वजनिक आवाजाही और यातायात को भी बाधित करते हैं. सरकार ने पाया कि इनमें से बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों और शहरों से आते हैं. जिनमें से कुछ का आपराधिक रिकॉर्ड भी है. परियोजना के तहत भिखारियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास कोलार में एक आश्रय गृह में ले जाया जाएगा.

नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई

भोपाल में यह कार्रवाई इंदौर में भीख मांगने पर प्रतिबंध और सख्त प्रक्रियाओं के बाद की गई है. जिसमें इस साल अपराधियों के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करना शामिल है. इंदौर के अधिकारियों द्वारा भिक्षा देने और प्राप्त करने के साथ-साथ भिखारियों से उत्पाद खरीदने पर सख्त प्रतिबंध है. यह रणनीति भिखारियों की प्रथा को पूरी तरह से रोकने और उन्हें पुनर्वासित करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है. इंदौर में स्थानीय लोगों द्वारा भिखारियों को दान देने के आरोपों के बाद, कई एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी हैं.

आदेश में कहा गया है कि भिखारियों को भिक्षा के रूप में कुछ भी देने या उनसे कोई सामान खरीदने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. निर्देश के अनुसार, जो लोग प्रशासन द्वारा भीख मांगने पर लगाए गए प्रतिबंध का उल्लंघन करते हैं, उन्हें लागू कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. आदेश के मुताबिक भिखारियों को भिक्षा देने या उनसे कुछ भी खरीदने पर बीएनएस की धारा 223 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. इस धारा के अनुसार किसी व्यक्ति को एक साल तक की कैद, ₹2,500 तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.