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MP विधानसभा चुनाव के पहले BJP में बजा बगावत का बिगुल, पूर्व मंत्री जुगुल किशोर के बेटे और बहू ने थामा कांग्रेस का दामन

mp politics: रैगांव विधानसभा सीट से 5 बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री स्वर्गीय जुगल किशोर बागरी के छोटे बेटे देवराज बागरी और बहू वंदना बागरी ने बीजेपी को अलविदा कहते हुए कांग्रेस के हाथ का साथ थाम लिया है.

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Edited By: Avinash Kumar Singh
MP विधानसभा चुनाव के पहले BJP में बजा बगावत का बिगुल, पूर्व मंत्री जुगुल किशोर के बेटे और बहू ने थामा कांग्रेस का दामन

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सूबे का सियासी तपिश बढ़ता ही जा रहा हैं. बीजेपी और कांग्रेस पार्टी पूरी तरह एक्शन मोड में आ गई है. चुनावी साल है तो जाहिर तौर पर चुनावी बातें होगीं. इसके साथ सियासतदां अपनी सहूलियत के हिसाब से दलबदल कर रहे है.

इसी क्रम में ताजा नाम बागरी समाज के बड़े नेता और रैगांव विधानसभा सीट से 5 बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री स्वर्गीय जुगल किशोर बागरी के परिवार का है. जुगल किशोर बागरी के छोटे बेटे देवराज बागरी और बहू वंदना बागरी ने बीजेपी को अलविदा कहते हुए कांग्रेस के हाथ का साथ थाम लिया है.

"बागरी परिवार के इर्द गिर्द सिमटी है रैगांव विधानसभा की राजनीति"

सतना जिले की रैगांव विधानसभा की राजनीति पूर्व विधायक जुगुल किशोर बागरी के इर्द गिर्द सिमटी रही है लेकिन उनके निधन के बाद उनके राजनीतिक वारिस माने जा रहे उनके बेटों को BJP में  राजनीतिक भागीदारी नहीं मिलने की वजह से उनके छोटे बेटे देवराज और बहू वंदना ने अपना अपमान बताते हुए बीजेपी भाजपा को अलविदा कहते हुए कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. बीजेपी को अलविदा कह कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद तमाम तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में तेज हो चली है.

"रैगांव की राजनीति में बागरी परिवार का रहा है दबदबा"

रैगांव की राजनीति में बागरी परिवार का प्रभाव हमेशा से रहा है. जुगल किशोर बागरी यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे है. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में जुगल किशोर की जगह उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट देकर बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा था. जहां उसको हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में जुगल किशोर ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ कर जीत हासिल की थी.

2021 में जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. जुगल किशोर बागरी के निधन से खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं दिया. जुगल किशोर बागरी के परिवार से किसी को टिकट देने की बजाए पार्टी ने प्रतिमा बागरी पर विश्वास जताया. बीजेपी को इसी का नुकसान उठाना पड़ा है.कल्पना वर्मा ने बीजेपी की प्रतिमा बागरी को भारी मतों से हराया था.

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