सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगा. इस कानून के खिलाफ कुल 73 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से 10 याचिकाओं को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अनुचित रूप से प्रभावित करता है. सुनवाई दोपहर 2 बजे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की पीठ द्वारा की जाएगी.
केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ कानून में संशोधन किया और दोनों सदनों में पास कराया. 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद लागू किया गया. लोकसभा में यह बिल 288 वोटों के समर्थन और 232 वोटों के विरोध के साथ पारित हुआ, जबकि राज्यसभा में 128 वोट पक्ष में और 95 वोट विरोध में पड़े. संसद में इस बिल पर तीखी बहस हुई, जहां विपक्ष ने इसे “संपत्ति जब्त करने की कोशिश” करार दिया.
याचिकाओं के प्रमुख तर्क
याचिकाओं में दावा किया गया है कि संशोधित कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में असामान्य हस्तक्षेप करता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है, “ये कानून मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.” उनका तर्क है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 और 26 का हनन करता है, जो समानता और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है.
विरोध और हिंसक प्रदर्शन
कानून लागू होने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हुए, जिनमें कुछ स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी सामने आईं. याचिकाकर्ताओं में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठन शामिल हैं, जो इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं.