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India Daily

Bank of India Fraud: बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व अधिकारी को 2003 के धोखाधड़ी मामले में 3 साल की कैद

विशेष सीबीआई अदालत ने धोखाधड़ी के दो दशक पुराने एक मामले में बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व मुख्य प्रबंधक को तीन साल कैद और डेढ़ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जे. श्रीनिवास राव पर बैंक को गलत तरीके से 80 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

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Edited By: Reepu Kumari
Bank of India Fraud Case
Courtesy: Pinterest

Bank of india Faud: बैंकिंग क्षेत्र में हुए एक बड़े घोटाले में, विशेष सीबीआई अदालत ने बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व मुख्य प्रबंधक जे. श्रीनिवास राव को तीन साल की कैद और 1.5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

यह मामला दो दशक पुराना है और इसमें बैंक को 80 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप था.

क्या था पूरा मामला?

साल 2003 में, जब जे. श्रीनिवास राव बैंक ऑफ इंडिया में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे, उन्होंने बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करते हुए अनधिकृत वित्तीय लेन-देन को मंजूरी दी. उनकी इस हरकत से बैंक को 80 लाख रुपये का भारी नुकसान हुआ. यह मामला सामने आने के बाद सीबीआई ने इसकी गहन जांच शुरू की और राव के खिलाफ सबूत इकट्ठे किए.

सीबीआई की विस्तृत जांच और अदालत का निर्णय

सीबीआई ने मामले की गहराई से जांच की और पाया कि राव ने जानबूझकर वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया. अदालत ने सभी सबूतों की समीक्षा करने के बाद उन्हें दोषी करार दिया और तीन साल की कठोर कैद की सजा सुनाई. साथ ही, उन्हें 1.5 लाख रुपये का आर्थिक दंड भी भरने का आदेश दिया गया.

बैंकिंग धोखाधड़ी पर सख्त रुख

यह मामला भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में हो रही वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को दर्शाता है. सरकार और जांच एजेंसियां अब ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई कर रही हैं, जिससे भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित किया जा सके और बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता लाई जा सके.

इस फैसले का प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय भ्रष्ट बैंक अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश है. बैंकिंग धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच यह सजा एक महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में देखी जा रही है. इससे भविष्य में बैंकिंग क्षेत्र में अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

बैंक ऑफ इंडिया के इस घोटाले में अदालत के फैसले ने यह साफ कर दिया है कि कानून से बचना संभव नहीं है. जो भी व्यक्ति धोखाधड़ी या वित्तीय अनियमितताओं में शामिल होगा, उसे कानून के कठोर दंड का सामना करना पड़ेगा.