बांग्लादेश में बवाल के बीच दिल्ली के CR पार्क में 'हाहाकार', किचन तक पड़ रहा असर
Delhi Chittaranjan Park: बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण दिल्ली के चित्तरंजन पार्क में मछली की आपूर्ति का संकट पैदा हो गया है. आपूर्ति संकट की वजह से चितरंजन पार्क में मछलियों की कीमतें बढ़ गई हैं. इसका पारंपरिक बंगाली व्यंजनों के साथ-साथ दुर्गा पूजा समारोहों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है.
Delhi Chittaranjan Park: बांग्लादेश में भू-राजनीतिक उथल-पुथल (Geopolitical Turmoil) ने साउथ दिल्ली के सीआर पार्क कॉलोनी के रसोईघरों को हिलाकर रख दिया है. कॉलोनी के बाजारों में मछली की कीमतें आसमान छूने लगी हैं, आपूर्ति कम हो गई है और बंगाली परिवारों का एक लजीज डिश मेनू से बाहर हो गया है. दुकानदारों और थोक विक्रेताओं ने बताया कि 5 अगस्त को अराजकता के बीच शेख हसीना के बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से बांग्लादेश से निर्यात बंद हो गया है, जिससे आपूर्तिकर्ताओं को देश के अन्य भागों से सामान मंगाने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
सीआर पार्क मार्केट 1 में एक दुकान के मालिक दुलाल चंद्रा ने कहा कि अधिकांश बंगाली भारतीय मूल की मछली की किस्मों से सहज नहीं हैं. वे पद्मा इलिश (पद्मा नदी से प्राप्त हिल्सा) को 3,000 रुपये प्रति किलो खरीदना पसंद करते हैं, बजाय इसके कि वे गुजराती इलिश को एक तिहाई कीमत पर खरीदें. उन्होंने कहा कि वे 900 रुपये प्रति किलोग्राम वाले आंध्रा किस्म के मुकाबले 1,800 रुपये प्रति किलोग्राम वाले ढाकाई पाबड़ा को अधिक पसंद करते हैं.
बांग्लादेश की कई मछलियां दुकानों से गायब
दुकानदारों ने बताया कि भारत के पूर्वी पड़ोसी देश से निर्यात की जाने वाली अन्य किस्में जैसे शोल, पड़बा, शिंग अब दुकानों से गायब हो गई हैं, जिससे लोगों को स्थानीय चीजों की ओर रुख करना पड़ रहा है. मार्केट 2 में मछली बेचने वाले प्रदीप मन्ना ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उसके कारण मछली की आपूर्ति कम हो गई है. बहुत से लोग जिनके पास थोड़ा बहुत स्टॉक है, वे इसे जमा करके रख रहे हैं और इसे महंगे दामों पर बेच रहे हैं. उन्होंने कहा कि आपके पास ओडिशा से इलिश भी है, लेकिन यह वैसा नहीं है.
बंगली परिवारों में मछली मुख्य भोजन है. इसमें इलिश या हिल्सा अधिकांश बंगाली घरों के लिए एक स्वादिष्ट व्यंजन है. उत्सवों और समारोहों के दौरान इसे परोसा जाता है. निश्चित रूप से, ढाका ने 2012 में उत्पादन की कमी और तीस्ता जल-बंटवारे समझौते पर असहमति का हवाला देते हुए भारत में इलिश के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, 2013 में तत्कालीन बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हर साल दुर्गा पूजा से पहले के हफ्तों में सीमित आयात की अनुमति दी, जिसे 'हिल्सा कूटनीति' के रूप में जाना जाता है.
सीआर पार्क में हर महीने 60 क्विंटल मछली की खपत
हालांकि, इस प्रतिबंध का पश्चिम बंगाल या दिल्ली में खाने-पीने की मेजों पर बहुत कम प्रभाव पड़ा है, क्योंकि मछुआरे एक दशक से अधिक समय से सीमा पर मौजूद खामियों का फायदा उठाकर मछलियां भेज रहे हैं. व्यापारियों ने बताया कि सीआर पार्क में हर महीने करीब 60 क्विंटल मछली की खपत होती है, जबकि पूरी दिल्ली में 300 क्विंटल. बांग्लादेश से आने वाली किस्मों की खपत इस हिस्से का एक तिहाई है और यह आपूर्ति लगभग खत्म हो जाने के कारण घरों में इसकी कमी महसूस की जा रही है और दुकानदार ग्राहकों को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
पास के मस्जिद मोठ के रहने वाले संजय सेनगुप्ता, मछली के लिए ज़रूरी सामान लाने के लिए हफ़्ते में कई बार सीआर पार्क जाते हैं. वे कहते हैं कि हमारा परिवार हर दूसरे दिन मछली खाता था. लेकिन अब हम अपने खाने में चिकन और अंडे खाना ज़्यादा पसंद करते हैं. सेनगुप्ता ने कहा कि सीआर पार्क बाजार में उपलब्ध अधिकांश मछलियां बासी हैं.
वहीं, डिफेंस कॉलोनी में रहने वाले सुब्रत दासगुप्ता बताते हैं कि मछलियों की खराब क्वालिटी अब उनके लिए परेशानी का कारण बन गई है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है. पद्मा इलिश की कीमत 2,600 रुपये प्रति किलोग्राम से भी ज़्यादा हो गई है और यहां तक कि उन मछलियों से भी बदबू आ रही है. गुजरात से आपूर्ति ठीक से नहीं हो पा रही है.
'बांग्लादेश उथल-पुथल का असर हमारे स्वाद पर पड़ रहा है'
सीआर पार्क के-ब्लॉक के रहने वाले कल्याण संघ के सचिव निर्मलेंदु दत्ता ने कहा कि इस संघर्ष के कारण हमारी थाली में सामान्य स्वाद की कमी हो गई है. उन्होंने एक गहरी चिंता भी व्यक्त की और कहा कि मछलियों आपूर्ति बाधित होने से दुर्गा पूजा समारोह पर असर पड़ना तय है.
4 अक्टूबर से शुरू होने वाले 10 दिवसीय दुर्गापूजा उत्सव के लिए इलिश काफी जरूरी है. दत्ता ने कहा कि अगर यह गतिरोध जारी रहा तो यह निश्चित रूप से हमारे इलाके में दुर्गा पूजा के उत्साह को खराब कर देगा. वहीं, पश्चिम बंगाल में मछली आयातक संघ के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने कहा कि वे भी त्यौहार से पहले आपूर्ति को लेकर चिंतित हैं.
उन्होंने कहा कि कानूनी तौर पर आपूर्ति पर प्रतिबंध है. बांग्लादेश आमतौर पर दुर्गा पूजा से पहले करीब 3,900 टन हिल्सा निर्यात करने की अनुमति देता है. हालांकि, इस साल हमें यकीन नहीं है कि शासन परिवर्तन के बाद ऐसा होगा या नहीं.
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