Sanjay Raut on Emergency Situation: शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने रविवार को भाजपा के विडंबनापूर्ण रुख पर कटाक्ष करते हुए कहा कि शिवसेना संस्थापक ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का खुलकर समर्थन किया था. राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ठाकरे के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित अपने साप्ताहिक कॉलम रोकठोक में राउत ने लिखा, 'जबकि पीएम मोदी और शाह आपातकाल के खिलाफ बोल रहे हैं, बालासाहेब ठाकरे उस आपातकाल के समर्थक थे.'' उन्होंने जोर देकर कहा, ''इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने का साहस दिखाया था. उस समय शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे ने इसका खुला समर्थन किया था.'
संभावित आंतरिक और बाहरी खतरों के मद्देनजर आपातकाल लगाने को उचित ठहराते वह आपातकाल को भूल नहीं पा रही है, जो उसकी कमजोर मानसिकता को दर्शाता है. 25 जून 1975 को सशस्त्र बलों से विद्रोह करने की अपील की गई थी...यह देश में अशांति पैदा करने की कोशिश की शुरुआत थी. विपक्षी नेता पुलिस को सरकारी निर्देशों का पालन न करने के लिए खुलेआम उकसा रहे थे. वे देश के खिलाफ विद्रोह भड़का रहे थे.
इस स्थिति का फायदा हमारे दुश्मन देशों द्वारा उठाए जाने की संभावना थी. और इसीलिए इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया. पिछले हफ्ते राउत ने कहा था कि सांसदों ने निडरता से प्रधानमंत्री से कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) उनके विरोधियों को डराने के लिए उनके मजबूत हथियार हैं.
संजय राउत ने कहा कि जब पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के महुआ मोइत्रा संसद में बोलने के लिए खड़ी हुई तो प्रधानमंत्री ने सदन से खुद को अलग कर लिया.
उन्होंने कहा, "सांसदों ने कहा कि अगर ईडी और सीबीआई नहीं होती तो प्रधानमंत्री एक संगठन के भयभीत प्रमुख बन जाते. मोइत्रा ने प्रधानमंत्री से कहा कि उन्होंने उनके निर्वाचन क्षेत्र में दो रैलियां कीं, फिर भी वह जीत गईं...उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को उनका भाषण सुनना चाहिए. लेकिन प्रधानमंत्री में उनका भाषण सुनने की हिम्मत नहीं थी."