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Ayodhya Ram Mandir: राम के कुंडली में था यह योग जिस कारण जाना पड़ा वनवास, देखें उनकी कुंडली

Horoscope Of Lord Ram: भगवान राम का जीवन कष्टमय रहा. उनका जीवन हमेशा उथल पुथल रहा. आखिर क्या कारण था कि राम और सीता को इतना कष्ट झेलना पड़ा? हमने भगवान विष्णु के अवतार राम के कुंडली को समझने के लिए ज्योतिषाचार्य से बात की. आप भी देखिये भगवान राम की कुंडली.

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Edited By: Purushottam Kumar
Lord Ram

हाइलाइट्स

  • राम का जन्म शुक्ल पक्ष के अभिजीत मुहूर्त को हुआ था
  • भगवान राम कर्क लग्न के थे और उनकी राशि भी कर्क थी

आदित्य कुमार/नोएडा: भगवान राम आज जन जन के हृदय में वास कर रहे हैं, सभी लोग राम भगवान और सीता माता की चर्चा कर रहे हैं और उनके बारे में जानना चाहते हैं. भगवान राम का जीवन कष्टमय रहा. उनका जीवन हमेशा उथल पुथल रहा. आखिर क्या कारण था कि राम और सीता को इतना कष्ट झेलना पड़ा?आखिर क्या कारण था कि सीता-राम जीवन में अलग ही रहे. आखिर क्या था उनमें की उन कष्टों के बाद भी भगवान राम सहज रहते थे, और आज घर घर में पूजे जाते हैं? इसका उत्तर भारतीय ज्योतिष में मिलता है. हमने भगवान विष्णु (Vishnu) के अवतार राम के कुंडली (Ram Horoscope) को समझने के लिए ज्योतिषाचार्य से बात की. आप भी देखिये भगवान राम की कुंडली.

माता से हुआ कष्ट, पिता की असमय मृत्यु

बालपन में ही भगवान राम ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में चले गए, राम विवाह में व्यवधान उत्पन्न हुआ, विवाह के बाद उनके साथ-साथ माता सीता को भी कष्ट उठाना पड़ा, पुत्र से अलग रहना पड़ा. यहां तक कि राज्य व राज्य सुख से भी सीता-राम को दूर रहना पड़ा. पिता की मृत्यु और माता से कष्ट रहा. और अंत में सरयू नदी में समाधि लेनी पड़ी. इतने कष्टों के बाद भी राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. ज्योतिष पंडित कृपा शंकर झा बताते हैं कि भगवान राम को इतने कष्ट हुए, यहां तक कि माता सीता को दुबारा वनवास में जाना पड़ा. संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ इस सबका कारण भगवान राम की कुंडली में मिलता है. 

इस राशि में जन्म हुआ था भगवान राम (Lord Ram) का

ज्योतिष कृपा शंकर झा बताते हैं कि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस में भगवान राम के जन्म का विवरण मिलता है. तुलसी मानस में राम के जन्मदिन के बारे में लिखते हैं,  
"नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥ मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥" 
मिथिला क्षेत्र के ज्योतिष कृपा शंकर झा बताते हैं कि रामचरित मानस के बालकांड के 190 दोहे के बाद पहली चौपाई में यह मिलता है. यानी राम भगवान का जन्म नौमी तिथि को हुआ था, चैत्र माह था, शुक्ल पक्ष के अभिजीत मुहूर्त को हुआ था. अगर समय बात करें तो,दोपहर का समय था. न बहुत सर्दी थी, न धूप (गरमी) थी. इस व्याख्या के अनुसार भगवान राम कर्क लग्न के थे. उनकी राशि भी कर्क ही थी.

आखिर क्या दोष था राम की कुंडली (Ram Ki Kundali) में?

कृपा शंकर झा बताते हैं कि राम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ था. भगवान राम की कुंडली के लग्न में मंगल और शनि ग्रह की दृष्टि होने की वजह से प्रबल राजभंग योग भी बन रहा है, लग्न में बैठे गुरु कुंडली के षष्ठेश भी हैं, जिसके कारण भगवान राम के जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा,और उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा. भगवान राम की कुंडली में लग्न में गुरु नवमेश भी हैं. इसी वजह से उन्होंने अपने जीवन में नीति और न्याय का पालन किया. भगवान राम की कुंडली के दशम भाव में उच्च के सूर्य बैठे हैं, जिसकी वजह से वो न्याय प्रिय राजा के रूप में जाने जाते हैं. झा बताते हैं कि भगवान राम मांगलिक भी थे, जिस कारण विवाह में व्यवधानों से गुजरना पड़ा. वैवाहिक जीवन भी उनका अस्थिर रहा और सीता से अधिकांश समय दूर ही रहना पड़ा.
 

Lord Ram Horoscope
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥ मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥

इस ग्रह के कारणों से सांसारिक सुखों से रहना पड़ा दूर

कृपा शंकर झा के अनुसार भगवान राम की कुंडली में केंद्र में शनि, मंगल, गुरु और सूर्य उच्च के होकर बैठा है. सबसे शक्तिशाली त्रिकोण यानी नवे घर में शुक्र उच्च होकर बैठे हैं, केतु और शुक्र एक साथ अभोग्त योग बनाता है. भगवान की कुंडली में गुरु और चंद्र साथ है जो गजकेसरी योग बनाता है. साथ ही उनकी कुंडली में रूचक योग, शश पंच योग, महापुरुष योग, हंस योग और लग्न में शत्रुहंता योग भी बन रहा है. ज्योतिष बताते हैं कि राम की कुंडली में राहु तृतीय भाव में विराजमान है, जिसकी वजह से उनके पराक्रम में बढ़ोतरी हुई. वहीं, नवम भाव में उच्च के शुक्र केतु के साथ बैठे हैं. जिस वजह से भगवान राम अपने जीवन काल में सांसारिक सुख से काफी हद तक दूर रहे. पिता की असमय मृत्यु और पुत्र से वियोग रहा.