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Ayodhya Ke Ram: रामलला की वो दो मूर्तियां... जो राम मंदिर के गर्भगृह में नहीं पहुंचीं, जानिए कहां स्थापित की गई हैं ये?

अयोध्या राम मंदिर में रामलला की 51 इंच की मूर्ति को गर्भग्रह में स्थापित किया गया है. इसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कृष्णा शील से तराशा है. जबकि दो अन्य मूर्तियां भी तैयार की गई थीं.

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Edited By: Naresh Chaudhary
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हाइलाइट्स

  • सत्यनारायण पांडे ने तैयार की थी रामलला की दूसरी मूर्ति
  • तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनी है रामलला की प्रतिमा
  • लखनऊ के हरसहायमल श्यानलाल ज्वैलर्स ने तैयार किए आभूषण

Ayodhya Ke Ram: अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर के गर्भग्रह में स्थापित रामलला के श्रीविग्रह को देखते ही लोग भाव विभोर हो रहे हैं. रामलला की छवि देखकर भक्तों की आंखों से आंसू छलक रहे हैं. मनमोहक रूप के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए बाल राम सबका मन मोह रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्भग्रह में स्थापित करने के लिए रामलला की तीन प्रतिमाएं बनाई गई थीं, जिनमें से एक को चुना गया है, जो अभी गर्भग्रह में स्थापित है. अब सवाल उठता है कि बाकी दो प्रतिमाओं का क्या हुआ और वो कहां स्थापित किया गया है.

सत्यनारायण पांडे ने तैयार की थी रामलला की दूसरी मूर्ति

अयोध्या राम मंदिर में रामलला की 51 इंच की मूर्ति को गर्भग्रह में स्थापित किया गया है. इसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कृष्णा शील से तराशा है. जबकि दो अन्य मूर्तियां भी तैयार की गई थीं. इनमें से एक मूर्ति का निर्माण सत्यनारायण पांडे ने किया है. रामलला की सफेद संगमरमर की मूर्ति को सुनहरे आभूषणों और कपड़ों से सजाया गया है. मूर्ति एक मेहराब से घिरी हुई है, जिसमें भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों को दर्शाया गया है. बताया जाता है कि इस सफेद संगमरमर की मूर्ति को संभवतः मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित किया जाएगा. हालांकि रामलला की तीसरी मूर्ति की तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है.

तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनी है रामलला की प्रतिमा

22 जनवरी यानी सोमवार को राम मंदिर में स्थापित मनमोहक प्रमिता को भगवान राम के बाल रूप को दर्शाती है. पांच साल की अवस्था और खड़ी प्रतिमा मूर्ति को बालक राम का नाम दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, अरुण योगीराज द्वारा तराशी गई यह मूर्ति तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनाई गई है. कृष्णा शिल (काली शिस्ट) की खुदाई मैसूर के गुज्जेगौदानपुरा गांव से की गई थी. यह एक महीन से मध्यम दाने वाली, आसमानी-नीली मेटामॉर्फिक चट्टान है, जिसे आम तौर पर इसकी चिकनी सतह की बनावट के कारण सोपस्टोन कहा जाता है और यह मूर्तिकारों के लिए मूर्तियां बनाने के लिए आदर्श है.

लखनऊ के हरसहायमल श्यानलाल ज्वैलर्स ने तैयार किए आभूषण

मूर्ति को पहनाए जाने वाले कपड़े बनारस में बने हैं, जिसमें एक पीली धोती और एक लाल 'पटका' शामिल है. 'अंगवस्त्रम' को शुद्ध सोने की 'जरी' और धागों से सजाया गया है, जिसमें शुभ वैष्णव प्रतीक - 'शंख', 'पद्म', 'चक्र' और 'मयूर' शामिल हैं. रामलला के आभूषण अंकुर आनंद के लखनऊ स्थित हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स की ओर से तैयार किए गए हैं, वहीं परिधान दिल्ली स्थित कपड़ा डिजाइनर मनीष त्रिपाठी द्वारा तैयार किए गए हैं, जिन्होंने इस परियोजना के लिए अयोध्या धाम से काम किया था.