Ayodhya Ke Ram: सुबह हनुमान गढ़ी के दर्शन और फिर मलइयो का स्वाद... कुछ ऐसा ही 'अयोध्या जी' का मिजाज
Ayodhya Ke Ram : राम लला 22 जनवरी को अपने नए घर में विराजमान होने वाले हैं. इसको लेकर अयोध्या नगरी में जोरों पर तैयारियां चल रही हैं. अयोध्या से पेश है India Daily Live के संवाददाता चंदन भारद्वाज की खास रिपोर्ट:-
चंदन भारद्वाज, संवाददाता, अयोध्या: ठंड में सुबह उठ कर फिर से सोने का अलग ही मजा है. ये सोचकर 7 बजे फोन में लगा अलार्म बंद ही किया था कि उसकी घंटी फिर से बज उठी. देखा तो फोन ऑफिस से था. फरमान आया कि 8 बजे के बुलेटिन में लाइव चाहिए. बस फिर क्या था... तैयार हुए और निकल पड़े लाइव पर...
बजरंगबली के दर्शन से दिन की शुरुआत
होटल से बाहर निकला तो याद आया आज मंगलवार है. दिन की शुरुआत बजरंगबली के दर्शन से की जानी चाहिए. इसके बाद कदम हनुमानगढ़ी की ओरर बढ़ चले. उम्मीद के अनुसार, हनुमानगढ़ी पर भक्तों की लंबी-लंबी कतार और बजरंगबली की जय हो से पूरा माहौल भक्तिमय नजर आ रहा था. हम टीवी वाले पत्रकारों को देखकर लोग और ज्यादा उत्साहित हो जाते हैं. अपने बाल-कपड़े ठीक करने लगते हैं.
खाने-पीने की मिलती हैं कई चीजें
लाइव के बाद मेरे कैमरामैन साथी ने गुजारिश की अब कुछ खा लिया जाए. उनके मुंह से फरमाइश निकली ही थी कि एक ठेले पर भाई साहब को स्प्रॉउट्स बेचते देखा. हमने उन्हें रोका और मस्त टमाटर मसाले डलवाकर मूंग और चना खाया. कैमरामैन साथी सन्नी ने कहा कि इतने से कुछ नहीं होने वाला. थोड़ी दूर खड़े एक पापड़ी चाट वाले भैया को आवाज दी और फिर हमने अयोध्या की प्रसिद्ध पापड़ी चाट का आनंद लिया.
खास है अयोध्या का मलइयो
स्प्राउट्स और चाट निपटाने के बाद हम आगे बढ़े तो एक बड़े से बर्तन में सड़क किनारे कुछ सफेद सा सामान बेच रहे भैया ने मेरा ध्यान खींचा. पास जाकर उनसे पूछा कि ये क्या चीज है? तो पता चला कि ये काशी की प्रसिद्ध मलइयो है. इसके बारे में सुना बहुत कुछ था, लेकिन कभी खाया नहीं था. सो हमने भैया को कहा पहले बताइए ये कैसे बनता है? और फिर खिलाइए.
ओस की बूंदों से तैयार होती है मलइयो
पूछने पर पता चला मलइयो को बनाने के लिए पहले कच्चे दूध को उबाला जाता है. उबले दूध को रात भर खुले आसमान में रख दिया जाता है ताकि इस पर ओस पड़ सके. सुबह होते ही दूध को मथा जाता है. दूध को मथने के बाद निकलने वाले झाग में चीनी, केसर, पिस्ता, मेवा, इलायची मिलाकर मलइयो तैयार होती है. फिर उसे कुल्हड़ या मटकी में सजाकर परोसा जाता है. ओस की वजह से ही मलइयो का झाग घंटों बने रहते हैं.
मन-मस्तिष्क में उतर जाता है मलइयो का स्वाद
बात करते-करते भैया ने हमारे हाथ में मलइयो से भरा दोना पकड़ा दिया. जैसे ही हमने चम्मच से मलइयो को अपने मुहं में रखा वैसे ही वो छूमंतर हो गया. और मुंह से एक ही आवाज निकली... वाह. ये तो जबरदस्त चीज है. मिनटों में हमने दोना खाली कर दिया. मुंह में मलइयो का स्वाद लिए हम निकल पड़े आगे के सफर के लिए.