Ayodhya Ke Ram: सनातन धर्म में तीर्थ यात्रा करना जीन का अहम हिस्सा है. चार धाम के अलावा देश में तमाम ऐसे स्थान हैं जिनका पौराणिक महत्व है. इनमें से एक ऐसा ही पवित्र स्थान चित्रकूट है. रामायण में कामदगिरि पर्वत का विशेष महत्व है जो चित्रकूट (Chitrakoot) में स्थित है. ये वो स्थान है जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के करीब 11 साल गुजारे थे. भगवान राम ने यहां तप किया था जिसकी वजह से ये स्थान तपोभूमि कहलाई. ये वहीं स्थान है जहां भगवान राम और उनके छोटे भाई भरत का मिलाप हुआ था.
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम ने इस पर्वत को छोड़ आगे बढ़ने का मन बनाया तो पर्वत दुखी हो गया. पर्वत ने कहा कि चित्रकूट की अहमियत सिर्फ राम के वहां रहने तक ही थी और उनके वहां से चले जाने के बाद उस जगह को कोई नहीं पूछेगा. ये सुनकर भगवान श्री राम ने पर्वत को आशीर्वाद दिया कि जो कोई भी इस पर्वत की परिक्रमा पूरा करेगा, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी. चित्रकूट धाम की यात्रा भी इस पर्वत की परिक्रमा के बाद ही संपन्न मानी जाएगी.
इच्छा पूरी करने वाले पहाड़ के नाम पर ही इस पर्वत का नाम कामदगिरि रखा गया है. मौजूदा समय में हजारों श्रद्धालु अपने मन में इच्छाएं लेकर यहां आते हैं और उन्हें पूरी करने की मुराद के साथ कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं.
मौजूदा समय में कामदगिरि पर्वत की 5 किलोमीटर लंबी परिक्रमा की शुरुआत रामघाट में डुबकी के साथ ही होती है. ऐसी मान्यता है कि चित्रकूट में अपने निवास के वक्त राम इसी घाट में स्नान किया करते थे. चित्रकूट को आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का केंद्र भी माना जाता है. ये वो भूमि है, जहां पर ब्रह्म, विष्णु और महेश तीनों देवों का निवास है. भगवान विष्णु ने भगवान राम रूप में यहां वनवास काटा था, तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए यहां यज्ञ किया था और उस यज्ञ से प्रकट हुआ शिवलिंग धर्मनगरी चित्रकूट के क्षेत्रपाल के रूप में आज भी विराजमान है.