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Ayodhya Ke Ram: जानें कौन हैं प्रभु श्री राम और माता सीता की कुलदेवी, यहां भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी 

Ayodhya Ke Ram: छोटी देवकाली और बड़ी देवकाली के बारे में रोचक मान्यताएं हैं और आज भी इनकी पूजा-अर्चना उसी तरह की जाती है जैसे त्रेता युग में होती थी.

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Amit Mishra
ayodhya ke ram

हाइलाइट्स

  • अयोध्या के राम
  • प्रभु श्री राम और माता सीता की कुलदेवी

Ayodhya Ke Ram: आखिरकार वो घड़ी आने ही वाली है जिसका जिसका इंतजार देश के करोड़ों लोगों को है. अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम के भव्य और दिव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. 22 जनवरी वो तारीख है जब रामलला मंदिर में विराजमान होंगे. ऐसे में अयोध्या के बारे में कई ऐसी दिलचस्प बातें हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं. ऐसी ही जानकारी प्रभु श्री राम और माता सीता की कुलदेवी के बारे में है. तो चलिए आपको बताते हैं कि प्रभु श्री राम और माता सीता की कुलदेवी कौन हैं.

प्रभु श्री राम और माता सीता की कुलदेवी

माता सीता की कुलदेवी छोटी देवकाली और भगवान राम की कुलदेवी बड़ी देवकाली माता हैं. छोटी देवकाली और बड़ी देवकाली के बारे में रोचक मान्यताएं हैं और आज भी इनकी पूजा-अर्चना उसी तरह की जाती है जैसे त्रेता युग में होती थी. भगवान राम की पावन धरती अयोध्‍या के बीचों बीच छोटी देवकाली का मंदिर स्थित है. यहां माता पार्वती सर्वमंगला महागौरी के रूप में विराजमान हैं. ये मंदिर यहां के प्रमुख शक्ति उपासना केंद्र में से एक है.

स्‍कंदपुराण में मिलता है उल्लेख 

मान्‍यता है कि माता सीता विवाह के बाद जब विदा होकर जनकपुरी से अयोध्‍या आईं थीं तो मां पार्वती की प्रतिमा को अपने साथ में लेकर आईं. माता सीता प्रतिदिन मां पार्वती की पूजा करती थीं. ऐसे में राजा दशरथ ने अयोध्‍या स्थिति सप्‍तसागर के ईशानकोण में इस प्रतिमा को स्‍थापित करके माता पार्वती का भव्‍य मंदिर बनवा दिया था. मुगलों ने इस मंदिर को दो बार ध्‍वस्‍त करवाया लेकिन बार-बार इसका पुर्नर्निमाण करवाया गया. निरंतर इस मंदिर में पूजा-पाठ चल रहा है. रूद्रयामल और स्‍कंदपुराण में भी इस मंदिर का उल्‍लेख किया गया है. 

यहां है बड़ी देवकाली माता का मंदिर

अयोध्‍या में पश्चिम दिश की ओर भगवान राम की कुलदेवी माता बड़ी देवकाली का मंदिर स्थित है. माना जाता है कि इस मंदिर की स्‍थापना इश्‍वाकु वंश के राजा ने करवाई थी. मान्‍यता है कि भगवान राम के जन्‍म के बाद माता कौशल्‍या उन्‍हें सबसे पहले रघुवंशियों की कुलदेवी मानी जाने वाली बड़ी देवकाली के दर्शन कराने लाई थीं. इसलिए, यहां भगवान राम पालने में विराजमान हैं.