Ayodhya Ke Ram: प्रभु राम के स्वागत के लिए पूरी अयोध्या (Ayodhya) पूरी तरह से तैयार है. सदियों का इंतजार खत्म होने को है और अब वो समय आ गया है जब दुनियाभर के करोड़ों राम भक्त भव्य राम मंदिर में अपने आराध्या का दर्शन-पूजन कर सकेंगे. इस खास मौके पर देश भर में लोगों से राम ज्योति जलाने का आग्रह किया गया है. इसके साथ ही देश के कई राज्यों में 22 जनवरी को आधे दिन की छुट्टी घोषित कर दी है. भारत सरकार की तरफ से भी 22 जनवरी को सरकारी कर्मचारियों को आधे दिन की छुट्टी दी गई है.
राम मंदिर की अपनी कई कहनियां हैं लेकिन इस बीच हम आपको मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं. जैसे मंदिर का डिजाइन किसने बनाया, मंदिर किस शैली में बना. मंदिर को बनाने में किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया. तो चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं मंदिर के डिजाइन के बारे में
अयोध्या के भव्य राम मंदिर का डिजाइन देश के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा ने तैयार किया है. पारंपरिक नागर शैली में इसका निर्माण किया गया है. इस शानदार योजना में चंद्रकांत के बेटों, निखिल और आशीष सोमपुरा ने भी योगदान किया है. बताया जाता है कि अयोध्या मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा से पहली बार 1989 में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने राम मंदिर के डिजाइन और निर्माण के लिए संपर्क किया था.
चंद्रकांत बी सोमपुरा के बेटे आशीष सोमपुरा के अनुसार, राम मंदिर का डिजाइन एक नए दृष्टिकोण से बनाया गया है, जिसमें पहली बार ही उसका 3डी स्ट्रक्चरल एनालिसिस किया गया है. इस विशेषज्ञता ने इस मंदिर को स्थिरता और धार्मिक अहमियत के साथ नवीनता भी प्रदान की है. 3डी स्ट्रक्चरल एनालिसिस ने सुनिश्चित किया है कि मंदिर हजारों वर्षों तक अपनी स्थिरता बनाए रखेगा.
राम मंदिर का मूल डिजाइन पहले आज के मंदिर से अलग था लेकिन विशेषज्ञ चंद्रकांत सोमपुरा ने इसे और भव्य बनाने के मकसद में इसमें संशोधन किया. उनके बेटे आशीष के अनुसार, मंदिर में मूलरूप से 2 मंडपों की योजना थी, लेकिन अब इसमें 5 मंडप शामिल किए गए हैं.
रामलला का महल, 12 फीट की जगत और एक ऊपरी चबूतरे पर खड़ा है. सीढ़ीदार 5 मंडपों की सुंदर रचना और 161 फीट की ऊंचाई पर स्थित गरबा गृह का शिखर मंदिर को अद्वितीय स्वरूप प्रदान करते हैं.
राम मंदिर की निर्माण तकनीक और इंजीनियरिंग सटीक हैं, जिसमें नींव में सेल्फ-कॉम्पैक्ट कंकरीट का प्रयोग बाहरी तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए किया गया है. मंदिर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये 6.5 तीव्रता के भूकंप को सहन कर सके.