Ayodhya Ke Ram : चंदन भारद्वाज की डायरी से- 'मैंने राम को आते देखा है' 

Ayodhya Ke Ram : प्रभू श्रीराम के 22 जनवरी को अपने घर में विराजमान होंगे. इसको लेकर श्रीराम की नगरी अयोध्या में तैयारी जोरों पर हैं. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या नगरी सज-धजकर तैयार हो रही है. अयोध्या से पेश है इंडिया डेली लाइव के संवाददाता चंदन भारद्वाज की खास रिपोर्ट.

Pankaj Mishra

चंदन भारद्वाज, संवाददाता, अयोध्या: राम जिनके बारे में बचपन से सुनता-पढ़ता आया वो राम जो राजा भी है और तपस्वी भी हैं. वो राम जिनके जीवन से जुड़े तमाम प्रसंगों को रामलीला में अनेकों बार देखा आज में अयोध्या में बीते दस दिनों से उन्हें साक्षात आते देख रहा हूं. 

Ayodhya Ke Ram

'होइ वही जो राम रची रखा'
मेरे किसी और साथी को अयोध्या आना था रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रही तमाम तैयारियों को देश दुनिया को दिखाने के लिए लेकिन वो कहते हैं 'होइ वही जो राम रची रखा' और मेरे उस साथी को अयोध्या आना के लिए जो ट्रेन पकड़नी थी उसने उसको छोड़ दिया और मुझे राम जी का बुलावा आ गया. जिस दिन मुझे यहां आना था उसके चार दिन बाद मेरा जन्मदिन था. ऑफिस से पहले ही चार दिन की छुट्टी ले ली थी की इस साल जन्मदिन कहीं बाहर दोस्तों के साथ मनाऊंगा लेकिन नियति में तो राम काज था सो में पहुंच गया अयोध्या.

'पहली बार आया हूं अयोध्या'

मैं अयोध्या पहली बार आया हूं, इससे पहले एक बार अयोध्या को छूकर निकला था, जब कोरोना काल में अपने गांव इसी रास्ते से होकर गुजर रहा था. अयोध्या की पहली सुबह में सड़कों पर राम नाम में लीन रामभक्त और मंदिरों से राम धुन ने एहसास करवा दिया की क्यों अयोध्या को लेकर नानी-दादी इतना उत्सुक रहती थी.

प्राण प्रतिष्ठा की भव्य तैयारी जोरों पर

अयोध्या में इन दिनों रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां एकदम ज़ोर-शोर से चल रही है. अयोध्या प्रवेश मार्ग से लता मंगेशकर चौक तक उड़ रही निर्माण कार्य की धूल अपने आप में इस बात का परिचय देती है की काम की रफ़्तार क्या है. 

श्रीराम के प्रिय सरयू में आस्था की डुबकी

बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की संख्या से पटा पड़ा सरयू किनारा जिसमें रामभक्त एक डुबकी लगाकर राम जी के प्रिय सरयू का आशीर्वाद लेते हैं. 

मानों त्रेता की अयोध्या कलयुग में उतर आई हो

सरयू से हनुमानगढ़ी तक के रास्ते में एक जैसे रंग में रंगी तमाम इमारतें और उनके ऊपर सनातन के प्रतीक चिन्हों को देखकर ऐसा लगता है कि मानों त्रेता की अयोध्या कलयुग में उतर आई हो. भक्तों की लंबी कतार और बजरंगबली की जय का जोरदार उदघोष आपको खुद ब खुद बता देगा की आप हनुमानगढ़ी पहुंच चुके हैं और किसी वजह से आपको ना पता चले तो बजरंगबली का अतिप्रिय भोग लड्डू की खुशबू आपको बता देगी की यही बजरंगी का किला है. 

अब अयोध्या के राजा हैं बजरंगबली

अयोध्या आकर एक दिलचस्प बात पता चली, मुझे तो अभी तक यही लगता था की अयोध्या के राजा रामचंद्र जी है लेकिन यह हनुमानगढ़ी में बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरांत जब मैंने यहां के महंत राजू दास महाराज से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि भगवान रामचंद्र जी ने अयोध्या का राजपाठ अपने पुत्रों लव-कुश को ना सौंप कर अपने अनन्य भक्त हनुमानजी को सौपा था और वर्तमान में अयोध्या के राजा बजरंगबली है और रामलला का दर्शन करने से पहले हनुमानजी का दर्शन करना अनिवार्य है तभी अयोध्या आना पूर्ण माना जाता है.

अपने घर में विराजमान होंगे रामलला

प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां में अयोध्या इस वक्त लीन है, हर सड़क पर कुछ न कुछ निर्माण कार्य चल रहा है. जैसे घरों में दीपावली पर सफाई होती है वैसे ही अयोध्या में इस समय काम जारी है. लोगों के चेहरे पर रामलला के अपने घर में विराजमान होने की खुशी साफ नजर आती है और मैं दिनभर इन सब चीज़ों को कैमरे में कैद करता हुआ अपने शब्दों में पिरोते हुए दुनिया को दिखाने की कोशिश में लगा रहता हूं.