Year Ender 2024

राम मंदिर का न्योता ठुकराने पर भड़के कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के भाई, बोले 'नुकसान हो गया...' 

Ayodhya Ke Ram: 22 जनवरी होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस ने किनारा कर लिया है. इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा है. 

Amit Mishra

Ayodhya Ke Ram: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला भव्य राम मंदिर में विराजमान होंगे. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस (Congress) ने किनारा कर लिया है. प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकराने के बाद कांग्रेस अपने ही नेताओं के निशाने पर आ गई है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) के भाई और पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह (Lakshman Singh) ने कांग्रेस के फैसले पर हैरानी जताई है. उन्होंने न्योता ठुकराने का परिणाम भी भुगतने की चेतावनी दी है.

'...तो परिणाम वही होंगे जो अब तक आए हैं' 

पूर्व कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा, जो लोग (राम मंदिर आंदोलन में) लड़े, वो स्पष्ट रूप से (प्राण-प्रतिष्ठा के संबंध में) निर्णय लेंगे. उन्होंने निर्णय ले लिया है. जहां तक ​​निमंत्रण का सवाल है, इसे अस्वीकार करने का क्या मतलब है? हम क्या संदेश दे रहे हैं? जब राजीव गांधी ने ताला खुलवाया था तो आप कौन होते हैं इसे अस्वीकार करने वाले? यदि हमारा नेतृत्व ऐसे सलाहकारों को रखता है तो परिणाम वही होंगे जो अब तक आए हैं...नुकसान हो गया है, इसका असर चुनाव में दिख जाएगा.

'राजीव गांधी ने खुलवाया था ताला' 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, लक्ष्मण सिंह का कहना था कि राजीव गांधी ने ताला खुलवाया था. यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह ने वहां 46 एकड़ जमीन राम मंदिर न्याय को देने की बात कही थी. उन्होंने वहां पर भव्य मंदिर निर्माण की बात कही थी. दुर्भाग्यवश वो पद से हट गए. इसी बीच, राजीव जी की हत्या हो गई. ये मामला खटाई में पड़ गया. उसके बाद स्थानीय और पूर देश के साधु-संतों ने इस लड़ाई को लड़ा. बुद्धजीवी जुड़े, पत्रकार जुड़े, राजनीतिक दल जुड़े. लंबी लड़ाई को लड़कर उन्होंने जीत हासिल की. उसके बाद उन्होंने इस निर्माण का कार्य शुरू करवाया.

'दिख जाएगा असर' 

लक्ष्मण सिंह ने आगे कहा, जिन्होंने ये लड़ाई लड़ी है, तो निर्णय भी वही लोग करेंगे, उन्होंने निर्णय लिया है. लेकिन निमंत्रण को ठुकराने का क्या मतलब है? हम क्या संदेश दे रहे हैं. जब राजीव जी ने वहां ताला खुलवाया था तो आप कौन हैं मना करने वाले? इस तरह के सलाहकार अगर हमारा नेतृत्व रखेगा तो फिर क्या कहेंगे- जैसे परिणाम आ रहे हैं, वो आते रहेंगे. पुनर्विचार करें या ना करें... बयान बदलें या ना बदलें, जो नुकसान होना था, वो हो चुका है. ये चुनाव में दिख जाएगा.