Ayodhya ke Ram babri masjid ramjanmabhoomi controversy timeline: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का आज पीएम मोदी चंद घंटे बाद उद्घाटन करेंगे. साथ ही मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. उत्सव की इस घड़ी को आने में करीब 500 साल का वक्त लगा है. इन पांच दशकों का इतिहास संघर्ष भरा रहा है. आखिरकार तमाम सबूतों को ध्यान में रखते हुए 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया और राम जन्मभूमि को हिंदुओं को सौंप दिया. आइए जानते हैं, इस संघर्ष की शुरुआत कब हुई और 500 सालों के इतिहास में कब-कब क्या-क्या हुआ?.
ये वो साल था, जब पूरे विवाद की शुरुआत हुई. भगवान राम की जन्मभूमि पर बने भव्य और विशाल मंदिर (इतिहासकारों का दावा) को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करा दिया गया, जिसे बाबरी के नाम से जाना जाता था.
मंदिर को लेकर पहली बार 1853 में अयोध्या में दोनों पक्षों के बीच खूनी संघर्ष हुआ. अगले दो साल तक यानी 1855 तक इस मुद्दे को लेकर समय-समय पर हिंसा होती रही. ये वो समय था, जब दोनों पक्ष एक ही जगह इबादत और पूजा करते थे.
1857 के विद्रोह के 2 साल बाद अंग्रेजों ने मामले में हस्तक्षेप किया और परिसर को दो भागों में बांट दिया. 1859 में परिसर में दीवार खड़ी की गई. अंदर मुसलमानों जबकि बाहरी हिस्से में हिंदुओं को पूजा की इजाजत मिली.
ये वो साल था, जब मामला पहली बार कोर्ट पहुंचा था. महंत रघुबर दास ने फैजाबाद (अब अयोध्या) कोर्ट में परिसर में राम मंदिर बनवाने की अनुमति मांगी. कोर्ट ने इस मांग से इनकार कर दिया, जिसके बाद विवाद और गहरा गया.
आजादी से कुछ समय पहले पहली बार बाबरी पर हमला हुआ और इसकी चाहरदीवारी समेत गुंबद को नुकसान पहुंचाया गया. इसके बाद अंग्रेजों ने इसका जीर्णोद्धार कराया.
आजादी के दो साल बाद मस्जिद में मुख्य गुंबद के नीचे रामलला प्रकट हुए. इसके बाद दोनों पक्षों में संघर्ष हुआ, फिर मुकदमा दर्ज कराया गया. इसके बाद सरकार ने यहां ताला लगा दिया.
ताला लगाए जाने के एक साल बाद हिंदू पक्ष ने कोर्ट में अपील दायर कर रामलला की पूजा की इजाजत मांगी. हिंदुओं की ओर से मस्जिद को पहली बार विवादित ढांचा संबोधित किया गया.
1959 में निर्मोही अखाड़ा जबकि उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा किया.
विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में जन्मस्थली को मुक्त कराने और मंदिर बनाने के लिए एक समिति बनाई. उसी दौरान गोरखनाथ धाम के महंथ अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई. कुछ समय बाद अभियान का नेतृत्व आडवाणी ने संभाला.
हिंदुओं की ओर से पूजा करने के अधिकार की मांग वाली अपील पर अयोध्या जिला मजिस्ट्रेट ने विवादित स्थल पर लगे ताला को खोलने का आदेश दिया. इसके बाद मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई.
नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर भाजपा और विश्व हिंदू परिषद की ओर से पहली बार राम मंदिर का शिलान्यास किया गया.
आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली. इस दौरान गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़के.
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई. कारसेवकों ने मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराया. तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की ओर से आदेश मिलने के बाद पुलिस की गोलीबारी में 5 कारसेवकों की मौत हुई.
कारसेवा के करीब छह महीने बाद उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए और पहली बार भाजपा की सरकार बनी.
इस दिन हजारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद ढहा दिया. इसके बाद खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें दोनों पक्षों के करीब 2000 लोगों के मारे गए.
मस्जिद को गिराए जाने के मामले की जांच के लिए जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में आयोग बनाया गया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस की सुनवाई शुरू हुई.
सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने 49 लोगों को दोषी करार दिया. इसमें भाजपा के प्रमुख नेता भी शामिल थे.
2001 में विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर बनाने की तारीख तय की. कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा.
VHP ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण शुरू करने की घोषणा की. सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे. अयोध्या से लौटने के दौरान गोधरा में 58 कार्यकर्ता मारे गए.
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मार्च 2002 को अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखने की बात कही. कहा कि किसी को भी शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी.
हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की.
हाईकोर्ट के निर्देश पर ASI ने खुदाई की. कहा कि मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष मिले हैं. फिर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूजा की अनुमति मांगी, जिसे ठुकरा दिया गया.
कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मध्यस्थता का प्रयास किया, लेकिन सफल वहीं हुए.
आडवाणी ने अस्थाई राम मंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण जरूर होगा.
जुलाई में अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले हुए, जिसमें पांचों आतंकियों समेत 6 लोग मारे गए.
बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच में जुटी लिब्रहान आयोग ने 17 साल के बाद मनमोहन सिंह सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
8 सितंबर को हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा. एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी, क्योंकि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई थी.
29 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्द सुनाई पर इनकार किया और केस जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा किराम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जो अंतिम चरण में है.
16 अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी. फैसला सुरक्षित रखा.
9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया और जन्मभूमि को हिंदुओं को सौंप दिया गया.
5 अगस्त 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया.
22 जनवरी 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भव्य राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे.