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अटल बिहारी वाजपेयी के वो फैसले..., जिन्हें पाकिस्तान की 70 पुश्तें रखेंगी याद! चटा दी थी धूल 

अटल बिहारी बाजपेयी की गिनती भारत के कुशल और दूरदर्शी राजनेताओं में होती है. आज पूरा देश अपने पूर्व प्रधानमंत्री की 100वीं जयंती मना रहा है. यहां हम अटल जी के बड़े और रणनीतिक फैसलों के बारे में चर्चा कर रहे हैं.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Atal Bihari Vajpayee
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Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री न केवल एक कुशल नेता बल्कि एक दूरदर्शी राजनेता भी थे. उनका पाकिस्तान से संबंधित नीति दृष्टिकोण भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिए ऐतिहासिक था. उनके कुछ फैसले पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों को आकार देने वाले महत्वपूर्ण मोड़ बने, जो अब भी पाकिस्तान में याद किए जाते हैं. आइए, उन सात प्रमुख फैसलों पर नजर डालें, जो पाकिस्तान की नीति में चिरकालिक प्रभाव छोड़ गए.

कारगिल युद्ध भारतीय फौज ने चटाई थी धूल

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की तरफ से कारगिल में की गई घुसपैठ का करारा जवाब दिया. पाकिस्तान के सैनिकों और आतंकवादियों ने भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र में घुसपैठ की थी, लेकिन भारतीय सेना ने उन्हें धूल चटाकर अपनी सीमा की रक्षा की. यह युद्ध पाकिस्तान के लिए एक शर्मिंदगी और भारत के लिए गर्व का पल बन गया. इस युद्ध ने पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को किसी भी हाल में खतरे में नहीं डालने देगा.

अटल-नवाज समिट (1999)  

अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ शांति की दिशा में कदम बढ़ाया. भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव के बावजूद, वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ दोस्ती और बातचीत की राह खोली थी. हालांकि, कारगिल युद्ध ने इस समिट के प्रयासों को नाकाम कर दिया, लेकिन इस पहल को पाकिस्तान की तरफ से बड़ी महत्वता दी जाती है.

पाकिस्तान की धरती पर 'अटल' कदम

अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में बस यात्रा के जरिए पाकिस्तान का दौरा किया, जिसमें भारत-पाकिस्तान रिश्तों में शांति की उम्मीद जताई थी. यह यात्रा दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाया. हालांकि बाद में यह प्रयास कारगिल युद्ध से विफल हो गया, लेकिन पाकिस्तान में इस यात्रा को हमेशा याद किया जाता है.

आतंकी हमलों पर कठोर प्रतिक्रिया  

2001 में भारत की संसद पर आतंकी हमले के बाद वाजपेयी सरकार ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी. भारत ने पाकिस्तानी सरजमीं से आतंकवादियों द्वारा हमलों की निंदा की और पाकिस्तान से कार्रवाई की मांग की. वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने यह स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की सहनशीलता नहीं होगी.

परमाणु परीक्षण (1998)  

1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया. अटल बिहारी वाजपेयी ने इस फैसले को लिया, जो न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी था. पाकिस्तान के लिए यह एक जटिल स्थिति बन गई, क्योंकि उसे अब भारत की परमाणु क्षमता के साथ सामरिक संतुलन को समझना पड़ा.

इंटरनेशनल दबाव 

पाकिस्तान के आतंकी गतिविधियों और सीमावर्ती संघर्षों के बावजूद, अटल जी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई. वाजपेयी ने दुनिया भर में पाकिस्तान के खिलाफ भारत का पक्ष मजबूती से प्रस्तुत किया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश की.

कश्मीर मुद्दे पर सख्त रुख  

कश्मीर पर अटल जी का दृष्टिकोण स्पष्ट था—यह भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए, जिससे पाकिस्तान को यह एहसास हुआ कि भारत अपनी कश्मीर नीति पर कोई समझौता नहीं करेगा.

अटल बिहारी वाजपेयी के इन फैसलों ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को एक नया मोड़ दिया और पाकिस्तान को यह समझने पर मजबूर किया कि भारत अपनी सुरक्षा, संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों को किसी भी कीमत पर छोड़ने वाला नहीं है. उनके इन कदमों ने न केवल भारत की शक्ति को प्रदर्शित किया, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी कड़ा संदेश भेजा.