सियासत के तीन बाजीगर: अटल, आडवाणी को मिला भारत रत्न, तीसरा कौन और कहां?

27 मार्च 2015 में भारत के तत्कालीन राष्टपति प्रवण मुखर्जी अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर भारत रत्न देने के लिए पहुंचे थे. वहीं आज पीएम मोदी ने अपने एक्स पर आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की बात कही है.

Naresh Chaudhary

नई दिल्लीः भारत सरकार की ओर से आज यानी 3 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है. आडवाणी से पहले सरकार ने भाजपा के ही वरिष्ठ और लोकप्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी को 27 मार्च 2015 को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया था. भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ-साथ एक तीसरा नाम भी हमेशा आता है. अटल और आडवाणी को तो भारत रत्न मिल गया, लेकिन तीसरे और बेहद खास शख्स को कब ये सम्मान मिलेगा, ये देखने वाली बात है. इसके लिए आपको लेकर चलते हैं भाजपा की स्थापना वाले दिनों में...

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने साल 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की. इससे ही भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ है. साल 1977 में देश में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी बनाने के लिए जनसंघ का कुछ अन्य दलों के साथ विलय हो गया. इसके बाद कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. तीन साल सरकार बनाने के बाद साल 1980 में जनता पार्टी का विघटन हुआ और भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ. इसी भारतीय जनता पार्टी के तीन मूल स्तंभ कहे जाते थे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी. सियासत के इन्हीं तीन बाजीगरों ने भाजपा को एक नई दिशा दी. 

27 मार्च 2015 को प्रणव मुखर्जी घर देने पहुंचे थे भारत रत्न 

पहले बात करते हैं अटल बिहारी वाजपेयी की... भारत की राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम काफी बड़ा है. सत्ता के साथ-साथ विपक्ष के नेता भी उनका उतना ही सम्मान करते थे. सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने के बाद 27 मार्च साल 2015 को भाजपा की सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया. इस दौरान वाजपेयी की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी उन्हें सम्मान देते हुए नजर आए थे. 

बेहद भावुक संदेश के साथ PM मोदी ने किया ऐलान

आज यानी 3 फरवरी 2024 को भारत सरकार ने उसी तिगड़ी के दूसरे चेहरे लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया है. लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें फोन करके इस सम्मान की बधाई दी. इसके बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर किया. बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के भी पुरोधा रहे हैं. उन्होंने राम मंदिर आंदोलन का देश का आंदोलन बना. इसके लिए उन्होंने गुजरात के सोमनाथ से लेकर उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा भी निकाली थी. 

मुरली मनोहर जोशी भी इसी परिपाठी के रहे हैं नेता

सिसायत के तीन बाजीगरों में तीसरा नाम मुरली मनोहर जोशी का है. उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के रहने वाले जोशी ने साल 1954 में गाय बचाओ आंदोलन के साथ राजनीति में कदम रखा था. इतना ही नहीं देश में आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. उनके खिलाफ मुकदमा चला था. सक्रिय राजनीति में रहते हुए जोशी मध्य प्रदेश से सात बात लोकसभा सांसद भी चुने गए. जोशी की गिनती भाजपा के दिग्गज नेताओं के रूप में होती है.

हाल ही में राम मंदिर उद्घाटन समारोह के निमंत्रण को लेकर जोशी का नाम काफी चर्चाओं में रहा था, क्योंकि मुरली मनोहर जोशी भी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे थे. जानकारों का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिल चुका है. अब कयास है कि मुरली मनोहर जोशी के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए.