Assembly Election Result 2023 Samajwadi Party Performance: सपा मध्य प्रदेश से साफ हो गई है. हालात ये रहे कि प्रचार में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी पार्टी का खाता तक नहीं खुला. मतलब जहां से चले वहीं खड़े मिले. इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से बेहतर सियासी भविष्य की उम्मीद लगाए बैठी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को बड़ा झटका लगा है. चुनावी नतीजे साीमने आने के बाद साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश से बाहर भी सपा जनाधार लगातार सिमट रहा है. जिस तरह के आंकड़े सामने आए हैं उनको देखने के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में समाजवादी पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गई है.
बात मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की करें तो यहां समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूरी ताकत झोंक दी थी. इतना ही नहीं उन्होंने चुनाव प्रचार करते हुए ताबड़तोड़ रैलियां भी की थीं. हालांकि, जब चुनावी नतीजे सामने आए तो उससे पार्टी को निराशा हाथ लगी. सपा के खाते में एक भी सीट नहीं आई है.
सपा के लिए ये बड़ा झटका है. ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है. पार्टी को कई चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. अब मध्य प्रदेश में भी सपा को जो उम्मीद थी उस तरह के नतीजे नहीं मिले हैं. साफ है कि आने वाले समय में पार्टी को जनता के बीच जाकर अपनी बात रखनी होगी, जिससे नतीजे अनुकूल मिल सकें.
बात मध्य प्रदेश की करें तो यहां सपा को नोटा से भी कम वोट मिले हैं. इस बार उसे सिर्फ 0.46 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि नोटा को सपा के दोगुने यानी 0.98 फीसदी वोट मिले हैं. सपा ने मध्य प्रदेश में कुल 69 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इनमें से 43 सीट ऐसी हैं जिन पर सपा को एक हजार से भी कम वोट मिले हैं. इनमें से किसी भी सीट पर सपा का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर भी नहीं रहा.
गौरतलब है कि, इससे पहले 1998 में समाजवादी पार्टी को मध्य प्रदेश में चार सीटों पर जीत मिली थी. उसका वोट प्रतिशत भी 1.58 फीसदी रहा था. वहीं 2007 में सपा को कुल 3.7 फीसदी वोट मिला था. 2013 के विधानसभा चुनाव में सपा को कोई सीट तो नहीं मिली लेकिन उसका वोट शेयर 1.2 फीसदी रहा.
मध्य प्रदेश के अलावा बात छत्तीसगढ़ और राजस्थान की करें तो यहां भी सपा साफ ही नजर आई है. वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में सपा को 0.4 फीसदी वोट मिले. इतना ही नहीं राजस्थान में तो हाल और भी बुरा रहा और पार्टी को महज 0.1 प्रतिशत वोट मिले.
यहां इस बात भी गौर करना होगा कि इस बाद अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के प्रचार में पूरी ताकत लगा दी थी. अखिलेश यादव ने सूबे में 6 दिनों तक ताबड़तोड़ प्रचार किया था. इस दौरान उन्होंने कुल 24 रैलियां की थी, रोड शो और रथ यात्रा भी की थी. हालांकि, जब नतीजे सामने आए तो इसका असर देखने को नहीं मिला. अखिलेश के अलावा उनकी पत्नी और मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव ने भी कई विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार किया था लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.
खास बात ये है कि भले ही सपा को विधानसभा चुनाव में झटका लगा हो लेकिन उसने चार सीटों पर कांग्रेस का खेल जरूर बिगाड़ा. चंदला, जतारा, बहोरीबंद और निवाड़ी सीट पर सपा ने कांग्रेस के वोट काट दिए और इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार को जीत हुई. इन सीटों पर हार-जीत का अंतर काफी कम रहा. अगर इन सीटों पर सपा प्रत्याशी खड़ा ना होता तो चुनावी नतीजे बदल भी सकते थे.