बाल विवाह, तलाक और अब जुमा ब्रेक? आखिर किस ओर जा रहे हैं हिमंत बिस्व सरमा

Jumma Break Assam: असम सरकार इन दिनों एक्शन में हैं. शुक्रवार को विधानसभा में सरकार ने जुम्मा ब्रेक वाले नियम को रद्द कर दिया. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि आज असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ को हटा दिया है. इस प्रथा को मुस्लिम लीग द्वारा साल 1937 में शुरू किया गया था.

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Jumma Break Assam: असम विधानसभा ने आज आधिकारिक तौर पर जुम्मा ब्रेक के दो घंटे के नियम में संशोधन किया है. यह  ऐतिहासिक रूप से मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार की नमाज अदा करने की सुविधा देने के लिए मनाया जाता है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी के प्रति आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा की उत्पादकता को प्राथमिकता देने के लिए यह निर्णय लिया गया है.  

असम सरकार ने इससे पहले मुस्लिम शादियो और तलाक रजिस्टर करने वाले 90 साल पुराने कानून  असम मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1935 को रद्द करने वाला बिल पास किया था. इस बिल का नाम असम कंपल्सरी रजिस्ट्रेशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स बिल, 2024 है.  पुराने कानून के रद्द होने के बाद मुस्लिम समाज के लोगों को शादी और तलाक का पंजीकरण कराना जरूरी होगा. 

खत्म होगा औपनिवेशिक बोझ 

सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 2 घंटे के जुम्मा ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ के एक और चिन्ह को हटा दिया है. यह प्रथा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने 1937 में शुरू की थी. इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मैं स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों का आभार व्यक्त करता हूं. पिछले नियम के अनुसार, शुक्रवार को विधानसभा की बैठक मुस्लिम सदस्यों को नमाज के लिए जाने की सुविधा देने के लिए सुबह 11 बजे स्थगित कर दी जाती थी, लेकिन नए नियम के अनुसार, विधानसभा धार्मिक उद्देश्यों के लिए बिना किसी स्थगन के अपनी कार्यवाही संचालित करेगी. 

क्या होगा इस नियम से बदलाव? 

संशोधित नियम के अनुसार, असम विधानसभा शुक्रवार सहित हर दिन सुबह 9:30 बजे अपनी कार्यवाही शुरू करेगी . आदेश में कहा गया है कि यह संशोधन औपनिवेशिक प्रथा को खत्म करने के लिए किया गया था जिसका उद्देश्य समाज को धार्मिक आधार पर विभाजित करना था. आधिकारिक आदेश में लिखा है कि असम विधानसभा के गठन के बाद से शुक्रवार को विधानसभा की बैठक मुस्लिम सदस्यों को नमाज के लिए जाने की सुविधा के लिए सुबह 11 बजे स्थगित कर दी जाती थी. मुस्लिम सदस्यों के नमाज से वापस आने के बाद विधानसभा दोपहर के भोजन के बाद अपनी कार्यवाही फिर से शुरू करती थी.  अन्य सभी दिनों में, सदन धार्मिक उद्देश्यों के लिए बिना किसी स्थगन के अपनी कार्यवाही संचालित करता था. आदेश में आगे लिखा गया है कि माननीय स्पीकर ने संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को देखते हुए, प्रस्ताव दिया कि असम विधानसभा को शुक्रवार को बिना किसी स्थगन के किसी भी अन्य दिन की तरह अपनी कार्यवाही का संचालन करना चाहिए. 

शादी का पंजीकरण जरूरी 

इससे पहले पुराने मुस्लिम कानून को रद्द करते हुए हिमंत सरकार ने कहा था कि यह विधेयक पार्टी राजनीति से ऊपर है. हमारा लक्ष्य बहुविवाह पर बैन लगाना है. इस बिल में प्रावधान है कि मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं बल्कि सरकार करेगी. दूसरी बाल विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा. बिल पास होने के बाद सीएम सरमा ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ बाल विवाह को खत्म करना नहीं है. हम काजी सिस्टम को खत्म करना चाहते हैं. हम मुस्लिम शादी और तलाक को सरकारी सिस्टम के अंदर लाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी शादियों का पंजीकरण किया जाना जरूरी है.  नए विधेयक के तहत, राज्य सरकार विवाह रजिस्ट्रार के रूप में नामित अधिकारियों की नियुक्ति करना चाहती है तथा झूठा प्रमाण पत्र बनाते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करती है.सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए सरमा ने गुरुवार को इसे बाल विवाह के खिलाफ भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की लड़ाई में एक ऐतिहासिक दिन बताया.  उन्होंने कहा कि यह किशोर गर्भावस्था के खिलाफ एक सख्त निवारक के रूप में भी काम करेगा और हमारी लड़कियों के समग्र विकास में समग्र विकास में सुधार करेगा.  यह विधेयक पार्टी की राजनीति से ऊपर है और हमारी लड़कियों को सम्मान की जिंदगी देने का एक साधन है.

बहुविवाह को भी प्रतिबंधित करेगी सरकार 

सरमा सरकार ने पिछले साल बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया था और बाल विवाह के लिए 3,000 से अधिक पुरुषों, मुख्य रूप से मुसलमानों को गिरफ्तार किया था. बाल विवाह में सहायता करने के लिए कुछ महिलाओं और काजियों को भी गिरफ्तार किया गया था.  बुधवार को सरमा ने कहा कि उनकी सरकार 2026 (अगले विधानसभा चुनाव) से पहले बहुविवाह को प्रतिबंधित करने के लिए एक और विधेयक लाएगी.


आखिर क्या चाहते हैं हिमंत बिस्वा सरमा? 

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को असम में मुस्लिम आबादी में वृद्धि और हिंदुओं की संख्या में कमी के साथ जनसांख्यिकीय परिवर्तनों पर अगले साल अप्रैल-मई तक एक श्वेत पत्र जारी करने का वादा किया है.  उन्होंने कहा वह प्रदेश में एक व्यापक श्वेत पत्र लाया जाएगा कि कैसे हिंदू बहुसंख्यक क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है? सरमा अपने बयानों के जरिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. हिंदुत्व के एजेंडे पर चलते हुए वह प्रदेश में डेमोग्राफी में हुए बड़े बदलाव की चर्चा कर रहे हैं. उनके हालिया बयानों ने विपक्ष को हमलावर होने का मौका दिया है. सरमा ने मंगलवार को कहा था कि वे बंगाली भाषी मुसलमानों के लिए अपमानजनक शब्द मियां को राज्य पर कब्जा नहीं करने देंगे. सरमा ने असम में बांग्लादेशी मुस्लिम शरणार्थियों और रोहिंग्या घुसपैठ को लेकर भी मुखर रहे हैं. वह इन लोगों को राज्य के सामाजिक ताने बाने के लिए बड़ा खतरा मान रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में बांग्लादेशी मुसलमानों की संख्या वृद्धि हुई है. सरमा राज्य के भीतर हो रही मुस्लिम घुसपैठ और उनकी बढ़ती संख्या को लेकर सख्त हैं. वह एक ऐसे राज्य के रूप में असम को बनाने की कोशिश कर रहे हैं जहां के वास्तविक नागरिकों को रोजगार, विकास और बुनियादी सुविधाओं से वंचित न होना पड़े.