'हजारों मुसलमान का जीवन बर्बाद...', UAPA के खिलाफ मैदान में खुलकर उतरे असदुद्दीन ओवैसी
Asaduddin Owaisi ON UAPA: कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत लेखक अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने दोनों के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की परमीशन दी थी. इसके बाद कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस कानून को बेरहम कानून बताया है.
Asaduddin Owaisi ON UAPA: दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने लेखक अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी. उपराज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद ही इस पर राजनीति शुरू हो गई है. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी खुलकर यूएपीए के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं. उन्होंने ट्वीट करके इस कानून को जिंदगी बर्बाद करने वाला कानून बताया है.
अंरुधति रॉय और प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ 2010 में विश्वविद्यालय में दिए कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया गया है.
ओवैसी ने यूएपीए को बताया बेरहम कानून
असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट करके बताया कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम को बेरहम बताते हुए लिखा - UAPA का कानून आज फिर से चर्चा में है. यह एक बहुत बेरहम कानून है. इसकी वजह से न-जाने कितने हज़ार मुसलमान, दलित और आदिवासी नौजवानों की जिंदगियां बर्बाद हो गई. उन्हें जेल में बंद कर दिया गया. इसी कानून की वजह से 85 वर्षीय स्टैन स्वामी की मौत हुई."
'कांग्रेस ने इस कानून को और सख्त बनाया'
यूएपीए कानून पर कांग्रेस को घेरते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा कि कांग्रेस सरकार ने इस कानून को 2008 और 2012 में और भी सख्त बनाया था. उस दौरान भी मैंने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी. इसके बाद 2019 में बीजेपी ने इसे और सख्त बनाए तो कांग्रेस ने बीजेपी का साथ दिया. तब भी मैंने इस कानून का विरोध किया था."
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार पर जुबानी हमला करते हुए लिखा कि अंरुधति रॉय और प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ भारत सरकार मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए अपनी क्रूरता जारी रखे हुए है.