दिल्ली के तीन बार सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान करके सभी को हैरान कर दिया है. केजरीवाल के इस फैसले ने राजनीति में भूचाल ला दिया है और कई नई संभावनाओं को जन्म दे दिया है.
वहीं एक दल का यह भी मानना है कि पूरा मामला जितना सहज दिख रहा है उतना है नहीं. AAP के सामने अब कई बड़ी चुनौतियां हैं. विधानसभा चुनाव से पहले एक ऐसा अंतरिम सीएम ढूंढना, जो पार्टी सदस्यों के सम्मान और वफादारी से सभी फैसलों और मतदाताओं को भी आकर्षित कर सके. क्योंकि केजरीवाल नहीं चाहेंगे कि किसी भी ऐसे को सीएम पद की कुर्सी सौंपी जाए जो बाद में पार्टी के लिए मुसीबत बन जाए. इसलिए यह सब इतनी काफी चुनौतीपूर्ण होगा.
एक ओर विपक्षी दल इसे AAP के भीतर कथित अस्थिरता का फायदा उठाने के एक अवसर के रूप में भी देख सकते हैं. इसके अलावा भ्रष्टाचार का मामला तो है ही. जमानत पर रिहा होने के बाद इस्तीफा देने के केजरीवाल के फैसले पर सवाल भी उठ रहे हैं.सीएम पद से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे से कई तरह की अटकलें और विश्लेषण शुरू हो गया है. कई राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क है कि उनका इस्तीफा केवल सहानुभूति हासिल करने या जेल के बाद नया जनादेश हासिल करने के लिए एक राजनीतिक दांव भर नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने केजरीवाल के सामने एक प्रशासनिक बाधा पैदा कर दी है. जमानत की शर्तों ने उन्हें ऑफिस जाने या सरकारी फाइलों पर साइन करने से रोक दिया है. अब केजरीवाल के लिए शासन करना लगभग असंभव हो गया है. ऐसी परिस्थितियों में बने रहने से नीतियों को लागू करने की उनकी पार्टी की क्षमता गंभीर रूप से बाधित हो सकती थी, जिससे अंतत: चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है.
मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल का उत्तराधिकारी कौन हो सकता है, इसे लेकर अटकलें तेज हैं. आम आदमी पार्टी के भीतर केजरीवाल के प्रभाव को देखते हुए, यह लगभग तय है कि उत्तराधिकारी के लिए उनकी पसंद को चुना जाएगा और बाद में उसे पार्टी विधायकों की मंजूरी मिलेगी. उत्तराधिकारी का चुनाव महत्वपूर्ण है और केजरीवाल के इस्तीफे जितना ही चौंकाने वाला हो सकता है. केजरीवाल का उत्तराधिकारी या तो वर्तमान कैबिनेट से आ सकता है या हरिय़ाणा और दिल्ली दोनों चुनावों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक रूप से चुना जा सकता है.