Delhi Politics: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले के नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए गए हैं. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने 13 फरवरी को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद इस जांच की सिफारिश की थी.
बंगले के निर्माण में नियमों के उल्लंघन का आरोप
आपको बता दें कि सीपीडब्ल्यूडी को निर्देश दिया गया है कि वह 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित बंगले के निर्माण में कथित भवन मानदंडों के उल्लंघन की विस्तृत जांच करे. यह बंगला करीब 40,000 वर्ग गज (8 एकड़) में फैला हुआ है और इसे एक भव्य आवास के रूप में विकसित किया गया था. आरोप है कि इसे सुविधाजनक बनाने के लिए सरकारी नियमों को नजरअंदाज किया गया. बीजेपी ने इस बंगले को ‘शीशमहल’ करार देते हुए इसे भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया है.
बंगले के विलय को रद्द करने की मांग
वहीं दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से अपील की है कि इस बंगले के साथ चार अन्य सरकारी संपत्तियों के विलय को रद्द किया जाए. सचदेवा ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि बंगले का विस्तार चार सरकारी परिसरों को अवैध रूप से जोड़कर किया गया. उन्होंने यह भी घोषणा की कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री इस बंगले में नहीं रहेंगे.
भव्य नवीनीकरण बना चुनावी मुद्दा
यह बंगला 2015 से अक्टूबर 2024 तक अरविंद केजरीवाल का आधिकारिक निवास था. अक्टूबर 2024 में सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की रिपोर्ट में बताया गया कि इसमें महंगे इंटीरियर और अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए थे. इसके बाद बीजेपी ने इसे लेकर ‘आप’ सरकार के खिलाफ जोरदार अभियान छेड़ा.
बताते चले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक चुनावी रैली के दौरान केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, ''पिछले 10 वर्षों में दिल्ली 'आपदा' से त्रस्त रही है. आप दिल्ली पर आफत बनकर आई है. मैं भी 'शीशमहल' बना सकता था, लेकिन मैंने गरीबों के लिए 4 करोड़ से अधिक घर बनाने का विकल्प चुना.''
भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सत्ता परिवर्तन
इसके अलावा, केजरीवाल ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए बीजेपी पर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया. हालांकि, बीजेपी लगातार दो वर्षों से केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप लगाती रही है, विशेष रूप से इस बंगले के महंगे नवीनीकरण को लेकर.
हालांकि, इन आरोपों के चलते बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत हासिल की और 26 वर्षों बाद सत्ता में वापसी की. 70 सीटों में से बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि आम आदमी पार्टी को केवल 22 सीटें मिलीं. कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई.