Who Is Pema Khandu: स्पोर्ट्स लवर, म्यूजिक लवर और अब चुनावी रणनीतिकार... अरुणाचल प्रदेश में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनवाने वाले पेमा खांडू की ये पहचान है. 2005 में राजनीति में कदम रखने वाले पेमा खांडू ने 2011 में पिता की मृत्यु के बाद पहली बार चुनाव लड़ा. करीब 5 साल बाद कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने अपनी पार्टी कांग्रेस से बगावत कर दी और पीपीए में शामिल हो गए. हालांकि कुछ महीने बाद उन्होंने पीपीए भी छोड़ दी और भाजपा ज्वाइन कर लिया.
2016 में ही पेमा पहली बार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और फिर 2019 में भी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब उनकी अगुवाई में अरुणाचल भाजपा ने 60 विधानसभा सीटों में से 46 सीटों पर कब्जा जमाया है. अरुणाचल में भाजपा लगातार तीसरी बार पेमा खांडू की अगुवाई में सरकार बनाने जा रही है.
पेमा खांडू पिछले कुछ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं, खासकर 2016 में जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था. इस संवैधानिक संकट के बाद पेमा खांडू अचानक राजनीति में उभर कर आए. खांडू को रणनीतिकार के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने राजनीतिक तिकड़मों के माध्यम से चीन की सीमा से लगे पूर्वोत्तर राज्य में पहली बार भाजपा को सत्ता में लेकर आए.
पेमा खांडू की राजनीतिक यात्रा एक निजी त्रासदी के बीच शुरू हुई. 2011 में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनके पिता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू की असामयिक मृत्यु ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया. इससे करीब 11 साल पहले उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया था. पार्टी में वे अलग-अलग पदों पर रहे, लेकिन जब तक उन्होंने अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र मुक्तो से निर्विरोध उपचुनाव नहीं जीता, तब तक उन्होंने सही मायने में उनका राजनीतिक जीवन शुरू नहीं हुआ था.
पहली बार में ही निर्विरोध चुनाव जीतने के बाद पेमा खांडू राजनीति में तेजी से आगे बढ़े. नबाम तुकी की कांग्रेस सरकार में पर्यटन मंत्री के रूप में काम करते हुए, जनवरी 2016 में संवैधानिक संकट के बाद उनके नेतृत्व का दायरा तेजी से बढ़ा, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
जब राष्ट्रपति शासन हटा तो वे कलिखो पुल के नेतृत्व वाली भाजपा समर्थित सरकार में मंत्री बन गए. हालांकि, ये सरकार ज़्यादा दिन नहीं चल पाई. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद नबाम तुकी को बहाल कर दिया गया, जिन्होंने जल्द ही इस्तीफ़ा दे दिया और जुलाई 2016 में सिर्फ़ 37 साल की उम्र में पेमा खांडू मुख्यमंत्री बन गए.
सितंबर 2016 में कांग्रेस से पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) में शामिल होने वाले पेमा ने दो महीने बाद ही भाजपा ज्वाइन कर ली. उनके कार्यकाल के मात्र तीन महीने बाद ही, सत्तारूढ़ कांग्रेस के 43 विधायक भाजपा की सहयोगी पीपीए में शामिल हो गए.
43 कांग्रेस विधायकों के पीपीए में शामिल होने के बाद पीपीए में आंतरिक कलह शुरू हो गया, जिसके बाद पेमा खांडू को पीपीए से निलंबित कर दिया गया. अब उनके सामने सिर्फ ये रास्ता बचा था कि वे भाजपा में शामिल हो जाएं. पेमा खांडू ने किया भी ऐसा ही, वे अधिकांश पीपीए विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए और सदन में अपना बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे.
2019 में पेमा खांडू दूसरी बार मुक्तो विधानसभा सीट से जीते और बिना किसी राजनीतिक बाधा के मुख्यमंत्री बने. राजनीति से अलग, पेमा खांडू अपने सांस्कृतिक योगदान के लिए जाने जाते हैं. संगीत के शौकीन पेमा खांडू आधिकारिक समारोहों में किशोर कुमार और मोहम्मद रफ़ी के क्लासिक गाने गाकर दर्शकों का मन मोह लेते हैं.
सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, तवांग और पश्चिम कामेंग जिलों में प्रतिभा प्रदर्शनियों के माध्यम से पारंपरिक गीतों को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों में स्पष्ट दिखाई देती है. खेल भी पेमा खांडू के अन्य जुनूनों में से एक है, जिसमें वे सक्रिय रूप से क्रिकेट टूर्नामेंटों का आयोजन करते हैं और स्थानीय एथलीटों को सहयोग देते हैं. साथ ही फुटबॉल, बैडमिंटन और वॉलीबॉल समेत विभिन्न खेलों में प्रतिभाओं को बढ़ावा देते हैं.
दिल्ली के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक पेमा खांडू मोनपा जनजाति के सदस्य हैं, जो मुख्य रूप से तवांग और पश्चिमी कामेंग के कुछ हिस्सों में निवास करते हैं. 19 अप्रैल को लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हुए विधानसभा चुनावों के लिए उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त शासन के मुद्दे पर प्रचार किया तथा पारदर्शिता और जन-केंद्रित नीतियों पर जोर दिया. बौद्ध धर्म को मानने वाले 45 वर्षीय पेमा खांडू इस बार भी सीमावर्ती जिले तवांग की मुक्तो सीट से निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं.