Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पर मोहर लगा दी गई. हालांकि तमाम विपक्षी दल इसे मोदी सरकार का जुमला करार दे रहे हैं. उनका कहना है कि महिला आरक्षण बिल कभी कानून की शक्ल नहीं लेगा, यह बिल केवल चुनाव में फायदा लेने के लिए लाया गया है.
महिला आरक्षण बिल पर उठते सवालों के बीच आज केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत परिसीमन 2026 तक रोक दिया गया है और जब इस पर रोक लगा दी गई है तो इसे 2026 से पहले आयोजित किया जा सकता है.
महिला आरक्षण बिल को तुरंत लागू करने की मांग करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी मेघवाल ने जोरदार तंज कसा. मेघवाल ने कहा, 'राहुल गांधी वायनाड से सांसद हैं. अगर हम उस सीट को महिला के लिए आरक्षित कर देते हैं तो क्या वे हमारी आलोचना नहीं करेंगे? इसलिए परिसीमन समिति यह तय करेगी कि कौन सी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएगी.'
बता दें कि संसद के दोनों सदनों में महिला आरक्षण बिल पास हो चुका है. सभी दलों ने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की थी. अब जबकि विपक्ष इस बिल को तुरंत लागू करने की मांग कर रहा है केंद्र सरकार का कहना है कि जनगणना और परिसीमन के बाद ही इस बिल को लागू किया जा सकता है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ओबीसी वर्ग को भी इस बिल में शामिल करने की वकालत की थी. उन्होंने केंद्र पर जाति आधारित जनगणना से ध्यान भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि महिला आरक्षण बिल को तत्काल प्रभाव से लागू किया जा सकता है, इसके लिए नई जनगणना या परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा था कि इस सब में कई साल लग जाएंगे, जबकि सच्चाई ये है कि महिला आरक्षण बिल को अभी आज से ही लागू किया जा सकता है. राहुल गांधी ने कहा था कि लोकसभा और विधानसभाओं में आज से ही 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व की जा सकती हैं, इसमें कोई दिक्कत नहीं है.
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