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तमिलनाडु में हिंदी विरोधी प्रदर्शन: डाकघर के पोस्टर पर पोती कालिख, केंद्र के खिलाफ जमकर की नारेबाजी

DMK के समर्थकों ने हिंदी के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए चेन्नई में केंद्र सरकार के कार्यालयों में तोड़फोड़ की. इसके साथ ही 'हिंदी नहीं जानते' जैसे नारे भी लगाए.

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Tamil Nadu Language War: तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और त्रिभाषा प्रणाली के विरोध में मंगलवार को डीएमके समर्थकों और छात्र संगठनों ने केंद्र सरकार के कार्यालयों पर जमकर प्रदर्शन किया. चेन्नई में सैदापेट डाकघर और तंजावुर में कुंभकोणम प्रधान डाकघर के बाहर प्रदर्शनकारियों ने हिंदी विरोधी नारे लगाए और केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि तमिलनाडु में हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है, जिसे वे स्वीकार नहीं करेंगे.

तमिलनाडु में त्रिभाषा नीति के खिलाफ उग्र विरोध

डीएमके छात्र विंग और छात्र महासंघ ने हिंदी को हटाने और केंद्र सरकार से तमिलनाडु को उसका बकाया धन देने की मांग की. चेन्नई में हुए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे डीएमके छात्र विंग के नेता अरुण ने कहा, ''केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के नाम पर हिंदी को जबरन थोप रही है. हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे. तमिलनाडु को उसके बकाया धन की तुरंत आपूर्ति की जानी चाहिए. हमने पहले भी हिंदी विरोध किया था और आगे भी जारी रखेंगे.''

वहीं तंजावुर जिले के कुंभकोणम में भी इसी तरह का प्रदर्शन किया गया, जहां डीएमके, एमडीएमके, वीकेसी, एसएफआई जैसे कई छात्र संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हुए. इन प्रदर्शनकारियों ने 'मोदी बाहर जाओ', 'शिक्षा राज्य का विषय रहना चाहिए', 'हिंदी नहीं जानते' जैसे नारे लगाए.

डीएमके का पक्ष - तमिल भाषा की सुरक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा

आपको बता दें कि डीएमके अध्यक्ष ने कहा कि उनका विरोध हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं, बल्कि उसे थोपने के खिलाफ है. उन्होंने कहा, ''हम किसी भी भाषा के विरोधी नहीं हैं, लेकिन तमिल को किसी अन्य भाषा के अधीन नहीं होने देंगे. तमिलनाडु में केवल द्विभाषी नीति (तमिल और अंग्रेजी) लागू होगी.'' उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी के वर्चस्व के खिलाफ डीएमके का संघर्ष जारी रहेगा और यह उनकी विचारधारा का हिस्सा है.

भाजपा का पलटवार - भाषा के नाम पर राजनीति

बताते चले कि भाजपा नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने इस विरोध को लेकर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और डीएमके पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि डीएमके अन्य अहम मुद्दों को छिपाने के लिए भाषा की राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा, ''तमिलनाडु के लोग डीएमके के दोहरे मानदंडों को समझ चुके हैं. अब भाषा की राजनीति उन्हें ज्यादा फायदा नहीं पहुंचाने वाली.''

परिसीमन और संसदीय सीटों की संख्या पर डीएमके की चिंता

इसके अलावा, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन के मुद्दे पर चिंता जताई और कहा कि लोकसभा में तमिलनाडु की सीटों की संख्या घट सकती है. उन्होंने बताया कि, ''तमिलनाडु जनसंख्या नियंत्रण में आगे रहा है, लेकिन परिसीमन की वजह से राज्य को 8 सीटों का नुकसान हो सकता है. इससे संसद में हमारा प्रतिनिधित्व घटकर 31 सीटें रह जाएगा, जो कि वर्तमान में 39 सीटें हैं.'' उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर राजनीतिक मतभेद भुलाकर एकजुट होने की अपील की और 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है.

हालांकि, तमिलनाडु में भाषा को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है. डीएमके समर्थकों ने हिंदी थोपने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए, लेकिन इसके दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं भी सामने आईं. दूसरी ओर, भाजपा ने इसे भाषा के नाम पर राजनीति करने का प्रयास बताया. वहीं, डीएमके ने स्पष्ट किया कि वे किसी भाषा के खिलाफ नहीं, बल्कि तमिल भाषा की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं.