Anti-Defection Law: 'नेताजी... अगर पार्टी बदली, तो खाने के पड़ जाएंगे लाले', हिमाचल विधानसभा में नया विधेयक पारित
Anti-Defection Law: हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने एक नया बिल पास किया है. बिल दलबदलू नेताओं को लेकर है. बिल के मुताबिक, अगर कोई नेता दल-बदल करता है और इस कानून के तहत अयोग्य ठहराया जाता है, तो फिर राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली पेंशन का लाभार्थी नहीं होगा.
Anti-Defection Law: हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए राज्य विधायकों के पेंशन लाभ को रद्द करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है. इस विधायी कदम का उद्देश्य दलबदल को रोकना और लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करना है. हाल ही में, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस-वोटिंग के लिए कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जिससे पार्टी की ताकत अस्थायी रूप से कम हो गई थी. राज्य में कांग्रेस सरकार को संकट से जूझना पड़ा क्योंकि उसके विधायकों की संख्या घटकर 34 रह गई थी.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए राज्य विधायकों के पेंशन लाभ को रद्द करने के लिए एक विधेयक पारित किया. सदन में चर्चा के बाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया गया. विधेयक के अनुसार, "यदि कोई व्यक्ति संविधान की दसवीं अनुसूची (शौच विरोधी कानून) के तहत किसी भी समय अयोग्य ठहराया गया है, तो वह अधिनियम के तहत पेंशन का हकदार नहीं होगा.
विधेयक पारित होने के बाद क्या बोले सीएम सुक्खू?
विधेयक पारित होने के बाद हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि वे (राजनीतिक दल बदलने वाले नेता) इस तरह के भ्रष्ट आचरण के जरिए राजनीतिक लाभ हासिल करना चाहते हैं. लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए इस विधेयक को पेश किया जाना जरूरी था. हमारी विधानसभा ने आज इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया.
प्रस्तावित संशोधन के उद्देश्य और कारणों के कथन में कहा गया है कि विधेयक की आवश्यकता थी क्योंकि 1971 के अधिनियम में सदस्यों के दलबदल को हतोत्साहित करने, उन्हें संवैधानिक पाप करने से रोकने, लोगों की ओर से दिए गए जनादेश की रक्षा करने और लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने का कोई प्रावधान नहीं था.
29 फरवरी को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए थे 6 विधायक
इससे पहले 29 फरवरी को विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने दलबदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी.
राज्य में कांग्रेस सरकार को संकट का सामना करना पड़ा क्योंकि उसके विधायकों की संख्या घटकर 34 रह गई थी. इनमें राजिंदर सिंह राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, दविंदर भुट्टो और रवि ठाकुर शामिल थे. लेकिन बाद में विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस की संख्या फिर से 28 विपक्षी भाजपा विधायकों के मुकाबले सदन में 40 हो गई.
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