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India Daily

Anji Khad Railway Bridge: देश का पहला केबल आधारित रेल ब्रिज बनकर तैयार, जो हिमालय की गोद में विकास की नई इबारत लिख रहा

अंजी खड्ड ब्रिज न केवल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भारत की इंजीनियरिंग क्षमताओं, संकल्प शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है. आने वाली पीढ़ियों के लिए यह पुल प्रेरणा बनेगा, जो बताएगा कि कठिन परिस्थितियों में भी कुछ भी असंभव नहीं है.

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Edited By: Mayank Tiwari
अंजी खड्ड रेल ब्रिज जम्मू-कश्मीर में
Courtesy: Social Media

Anji Khad Railway Bridge: भारत का पहला केबल आधारित रेल ब्रिज जम्मू-कश्मीर में बनकर तैयार हो गया है. दरअसल, ये केबल-स्टे रेल पुल, अंजी खड्ड रेल ब्रिज, अब केवल एक इंजीनियरिंग संरचना नहीं, बल्कि एक सपने के साकार होने की कहानी है. यह भव्य पुल जम्मू से लगभग 80 किलोमीटर दूर, कटरा-बनिहाल रेल खंड को जोड़ते हुए, चिनाब नदी के दक्षिण में अंजी नदी पर बनाया गया है. बर्फ से ढकी चोटियों और युवा पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित यह पुल, प्राकृतिक विपरीत परिस्थितियों को मात देते हुए भारत की तकनीकी ताकत का प्रतीक बन गया है.

जानिए पुल के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें?

दरअसल, ये अंजी खड्ड रेल ब्रिज 331 मीटर की ऊंचाई से नदी को पार करते हुए 725 मीटर तक फैला हुआ है. इसे 96 हाई-टेंसाइल स्टील केबल्स का सहारा मिला है, जो इसकी मजबूती और संतुलन सुनिश्चित करते हैं. वहीं, पुल का inverted-Y आकार का पायलन 193 मीटर ऊंचा है और इसमें 8,215 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे सालों तक टिकाऊ और सुरक्षित बनाता है. बता दें कि, ये पुल इसलिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बन जाने से कश्मीर घाटी को बाकी देश से जोड़ना अब बहुत आसान हो गया.

सपनों को जोड़ने वाला अंजी खड्ड रेल ब्रिज

उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा यह पुल सिर्फ दो जगहों को नहीं, बल्कि संभावनाओं, पर्यटन, व्यापार और सांस्कृतिक एकता को भी जोड़ता है. इसके शुरू होते ही यात्रा का समय घटेगा, कारोबार को बढ़ावा मिलेगा, और जम्मू-कश्मीर पर्यटन और व्यापार का एक नया केंद्र बनकर उभरेगा. इसके अलावा इस ब्रिज पर ट्रेनों को 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जा सकेगा.

आशा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

अंजी खड्ड ब्रिज न केवल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भारत की इंजीनियरिंग क्षमताओं, संकल्प शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है. आने वाली पीढ़ियों के लिए यह पुल प्रेरणा बनेगा, जो बताएगा कि कठिन परिस्थितियों में भी कुछ भी असंभव नहीं. हालांकि,  यह पुल जम्मू-बारामूला लाइन के कटरा और रियासी खंड को जोड़ेगा.