Andhra Pradesh News: आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में TDP की सरकार बनने के बाद सियासी पारा चढ़ा हुआ है. चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री बनने के साथ ही पूर्व CM जगन रेड्डी के राज खोलने लगे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि जगन रेड्डी ने जनता के पैसे से प्राइवेट आलीशान पैलेस के लिए 500 करोड़ खर्च किए. इसमें तो महज बाथटप के लिए 26 लाख रुपए खर्च गए हैं. हालांकि, इन आरोपों को YSRCP ने फर्जी बताया है.
टीडीपी और उसके नेताओं ने इस संबंध में कई ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट किए हैं. इसके बाद से ही राज्य में सियासी घमासान मचा हुआ है. मामले में जगन रेड्डी के समर्थकों ने भी सफाई दी है. वही उन्होंने ने भी TDP और चंद्रबाबू नायडू को लेकर कई पोस्ट किए हैं.
TDP सोशल मीडिया पर लिखा 'रुशिकोंडा पैलेस देश का सबसे आलीशान महल है. जगन ने इस महल को 500 करोड़ रुपये की जनता के पैसे से बनवाया, ये किसकी इजाजत से हुआ? आंध्र प्रदेश के लोगों इस पर गहन जांच की मांग कर रहे हैं.
జగన్ ని ఓడించి ప్రజలు రాష్ట్రానికి ఎంత మేలు చేసారో తెలుసుకోడానికి ఒక్క రుషికొండ ప్యాలెస్ ఉదంతం చాలు. విశాఖలో ఒక కొండని ఆక్రమించి, అందులో రూ.500 కోట్ల ప్రజాధనంతో ప్యాలెస్ ని కట్టుకున్నాడంటే ఎంత బరి తెగింపో చూడండి!#FurnitureDongaJagan #AndhraPradesh pic.twitter.com/KCOrZdb9TZ
— Telugu Desam Party (@JaiTDP) June 17, 2024
देलगू देशम पार्टी ने आगे लिखा 'रुशिकोंडा पैलेस यह जानने के लिए काफी है कि जगन को हराकर लोगों ने राज्य का कितना भला किया है. देखिए, पहाड़ी पर कब्ज़ा करने और जनता के 500 करोड़ रुपये से महल बनाने के लिए उन्हें कितनी मेहनत करनी पड़ी.'
TDP ने दावा किया कि अकेले बाथटब की कीमत 26 लाख रुपये है. उन्होंने गरीबों का मजाक उड़ाया और गरीबों को उनके घरों से वंचित किया. जब उनकी पत्नी ने उनसे बीच व्यू पैलेस खरीदने के लिए कहा तो उन्होंने सभी नियम तोड़ दिए. जनता के सैकड़ों करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए और अब आकर कहानियां सुना रहे हैं? लेकिन उस बाथरूम की तस्वीरें क्या हैं? सच जनता के सामने है और उन्हें चुनाव में इसी का फल दिया गया है.
मामले में YSRCP नेता और पूर्व मंत्री गुडीवाड़ा अमरनाथ ने कहा कि TDP राज्य के लोगों को गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. हम देख रहे हैं कि राज्य के लोगों का दिमाग बदलने के के प्रयास किये जा रहे हैं. रुसीकोंडा में जो इमारते हैं वह सरकारी हैं. वह निजी प्रॉपर्टी नहीं है. इन इमारतों का निर्माण विशाखापट्टनम को की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए किया गया था. यह सरकार के ऊपर है कि वह इसका इस्तेमाल कैसे करेगी.