Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट सबके सामने आ गए हैं. इसमें NDA को 292 और इंडिया गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल बनी है. वहीं कांग्रेस दूसरे नंबर पर है. सबसे खास और बड़ी बात की दो प्रत्याशी इस चुनाव में ऐसे हैं जो गंभीर आरोपों जेल में बंद हैं. ऐसे में अब बड़ा सवाल ये है कि नियम उनके शपथ लेने को लेकर क्या नियम हैं और क्या वो 18वीं लोकसभा की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं.
मंगलवार को आए नजीतों के अनुसार, शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद ने बारामुल्ला सीट से चुनाव जीता है. वहीं खडूर साहिब सीट से खालिस्तान समर्थक सिख धर्मगुरु अमृतपाल सिंह ने चुनाव जीता है. आइये जानें इनकी प्रोफाइल, चुनाव रिजल्ट के साथ ही शपथ को लेकर नियम हैं?
बारामूला से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जेल में बंद निर्दलीय प्रत्याशी इंजीनियर अब्दुल राशिद शेख ने हराया है. अब्दुल राशिद शेख ने 472481 हासिल कर उमर अब्दुल्ला को 204142 मतों के अंतर से हरा दिया. इनके चुनाव प्रचार का बेड़ा परिवार के लोगों ने उठाया था. राशिद शेख के भाई के अनुसार, उन्होंने 20 हजार रुपये की लागत से प्रटार किया था.
अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद अभी आतंकी फंडिंग के मामले में तिहाड़ जेल में बंद है. ये पहले भी 2 बार विधायक रह चुके हैं. इंजीनियर रशीद को 2019 में NIA ने आतंकी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. इनके खिलाफ NSA की कार्रवाई की गई थी. रशीद ने 2008 और 2014 में लंगेट सीट से विधानसभा का चुनाव जीता था. हालांकि, 2019 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे.
खडूर साहिब लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से अमृतपाल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप सिंह जीरा को 1,97,120 वोटों से हराया है. अमृतपाल को 4,04,430 वोट और जीरा को 2,07,310 वोट मिले. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के लालजीत सिंह भुल्लर 1,94,836 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. वहीं BJP के मनजीत सिंह मन्ना 86,373 वोट हासिल कर पाए.
अमृतपाल लाल किला में हिंसा से चर्चा थे. वो पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की मौत के बाद 2022 देश लौटे थे. ये लगातार भड़काऊ और खालिस्तान समर्थित बयानबाजी करते रहे जिसके बाद पुलिस ने उसके सहायक हिरासत में लिया था. इसके बाद धरना और थाने में हमला किया गया. बाद में फरार अमृतपाल को जनरैल सिंह भिंडरावाले से गिरफ्तार कर लिया. उसके खिलाफ NSA लगाकर डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने बताया कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, उन्हें शपथ लेने का अधिकार है. इसके लिए जेल प्रशासन इजाजत लेकर उन्हें शपथ के लिए ले जाएगा और उसके बाद वापस जेल लाना होगा.
संविधान के अनुच्छेद 101 (4) में कानूनी पहलुओं को और स्पष्ट किया गया है. इसमें अध्यक्ष की पूर्व स्वीकृति के बिना संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के बारे में बताया गया है. शपथ लेने के बाद अध्यक्ष को ऐसे सदस्य लिखित रूप से सूचित करेंगे की वो सदन का कार्यवाही में नहीं पहुंच सकते हैं.
सदस्य की सूचना को अध्यक्ष सदन की इस संबंध में बनी समिति के पास भेज देंगे. यहां फैसला होगा की सदस्य को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं. अगर समिति कहती है कि वो सदन से अनुपस्थित रह सकते हैं तो अध्यक्ष उन्हें मतदान का अधिकार देंगे.
हालांकि, कोर्ट का फैसला आने तक वो अध्यक्ष की अनुमति से सदन में आ सकते हैं और वोट कर सकते हैं. वहीं दोनों सदस्यों के खिलाफ अगर कोर्ट का फैसला आता है और उन्हें दोषी ठहराया जाता है तो वो अपनी सदस्यता तुरंत खो देंगे.
इस संबंध ने सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले में बताया है. इसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को अमान्य कर दिया गया था. जिसमें दोषी सांसदों और विधायकों को सदन में बने रहने के लिए 3 महीने के भीतर ऐसे सदस्यों को अपील करने का अधिकार देता था.