Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर में लंबे समय बाद विधानसभा चुनावों का ऐलान किया जा चुका है और इसकी गूंज घाटी में भी नजर आ रही है. जहां एक ओर क्षेत्रीय पार्टियां सरकार बनाने के लिए प्रचार में जुटी हुई हैं तो वहीं कुछ केंद्रीय दल भी अपनी सत्ता की चाभी ढूंढने का प्रयास कर रही हैं. हालांकि इस बीच एक नाम जो बहुत जोर से गूंज रहा है वो उमर अब्दुल्ला का है, लेकिन ऐसा क्या है जिसके चलते चुनाव से पहले अब्दुल्ला इतना ज्यादा सुर्खियों में बने हुए हैं, आइये एक नजर डालते हैं.
दरअसल शुक्रवार को उमर अब्दुल्ला ने 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को लेकर ऐसी टिप्पणी की जिससे विवाद खड़ा हो गया. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को यह कहकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया कि अफजल गुरु को फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ और न ही इस पूरे मामले में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई मंजूरी ली गई थी. अगर अफजल गुरु को फांसी देने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार को मंजूरी देनी होती तो वह ऐसा नहीं करती.
अब इसी विवादास्पद बयान पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को पलटवार किया और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आतंकवादियों से सहानुभूति रखने का आरोप लगाया. इस दौरान राजनाथ सिंह ने उमर अब्दुल्ला से पूछा कि क्या अफजल गुरु को माला पहनाई जानी चाहिए थी. वह रामबन जिले में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित कर रहे थे, जहां 18 सितंबर को पहले चरण में मतदान होगा.
राजनाथ ने सवाल करते हुए कहा,'नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है. मैंने हाल ही में उमर अब्दुल्ला को यह कहते हुए सुना कि अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या अफजल गुरु को माला पहनाई जानी चाहिए थी? नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 को बहाल करने की बात कर रही है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में 40,000 नौकरियां पैदा हुई हैं.'
राजनाथ सिंह ने राज्य में भाजपा सरकार के गठन का आग्रह किया और कहा कि जम्मू और कश्मीर में हमारी सरकार बनने के बाद, हम विकास करेंगे जिससे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लोग भारत का हिस्सा बनना चाहेंगे. रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लोगों को संदेश देते हुए कहा कि पाकिस्तान उन्हें विदेशी मानता है, जबकि भारत उन्हें अपना मानता है.
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि पीओके विदेशी भूमि है. मैं पीओके के लोगों से कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान उन्हें विदेशी मानता है, जबकि भारत उन्हें अपना मानता है.'
वहीं राजनाथ सिंह से पहले देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी उमर अब्दुल्ला पर हमला बोला था और एनसी और कांग्रेस पर आतंकवाद के मामले में नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया था. शाह ने आरोप लगाया कि दोनों पार्टियां जेलों से "पत्थरबाजों और आतंकवादियों" को रिहा करने पर जोर दे रही हैं, और चेतावनी दी कि सत्ता में उनकी वापसी से पुंछ, राजौरी और डोडा जैसे जिलों में आतंकवाद फिर से पनपेगा.
उन्होंने कहा,'कश्मीर ने आतंकवाद का खामियाजा भुगता है क्योंकि वहां की सरकारें अपनी आंखें मूंद लेती थीं और सत्ता में बैठे लोग भाग जाते थे, शाह ने चेतावनी दी कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन हिंसा को फिर से लाएगा. अगर एनसी-कांग्रेस सत्ता में लौटती है, तो इसे आतंकवाद का फिर से पनपना मानिए. जम्मू और कश्मीर, खासकर जम्मू को यह तय करना होगा कि वे आतंकवाद चाहते हैं या शांति और विकास… जब भाजपा है तो कोई भी घुसपैठ करने की हिम्मत नहीं करता. जब मोदी सरकार (2014 में) सत्ता में आई, तो उसने आतंकवाद को वित्तपोषित करने वालों को जेल भेजकर उनके लिए विनाश का मार्ग प्रशस्त किया. वे एलओसी व्यापार को निलंबित करने की बात कर रहे हैं, जिसका लाभ आतंकवाद को मिल रहा है.'
वहीं उमर अब्दुल्ला ने इन दावों को खारिज करते हुए अमित शाह पर पलटवार किया और कहा कि मौजूदा सरकार आतंकवाद से लड़ने में नाकाम रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दावों को खारिज करते हुए असलियत को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया.
अमित शाह के आरोपों का जवाब देते हुए अब्दुल्ला ने कहा, 'अगर किसी संगठन ने आतंकवाद के खिलाफ बलिदान दिया है, तो वह जेकेएनसी है. मुझे बहुत दुख होता है जब भारत के गृह मंत्री इस तरह के बयान देते हैं... सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करना एक बुरी बात है. सच्चाई तो यह है कि हमारी 6 साल की सरकार के दौरान आतंकवाद में बहुत कमी आई और अगर शाह इसकी तुलना अपने पांच सालों के कार्यकाल से करेंगे तो देखेंगे कि उन्हीं के कार्यकाल में आतंकवाद लगातार बढ़ा है.'