Amit Shah On CAA: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) पर अपनी प्रतिक्रिया दी. न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में अमित शाह ने विपक्ष को घेरा. विपक्ष इस आरोप पर कि बीजेपी CAA के जरिए नया वोट बैंक बना रही है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के पास कोई और काम नहीं है. उनका इतिहास है जो बोलते हैं जो करते नहीं, मोदी जी का इतिहास है जो बीजेपी हां पीएम मोदी ने कहा वो पत्थर की लकीर है. मोदी की हर गारंटी पूरी होती है.
अमित शाह ने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि उन्होंने तो यहां तक कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में राजनीतिक लाभ था, तो क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भी हमारे राजनीतिक लाभ के लिए था. हमने 1950 से कह रहे हैं कि हम धारा 370 हटा देंगे. उनका इतिहास है जो बोलते हैं करते नहीं हैं, मोदी जी का इतिहास है जो बीजेपी या पीएम मोदी ने कहा वो पत्थर की लकीर है.
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है. ओवैसी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी समेत सभी विपक्षी दल झूठ की राजनीति कर रहे हैं. समय का कोई सवाल ही नहीं है. भाजपा ने 2019 में अपने घोषणापत्र में कहा था कि वह CAA लाएगी और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को नागरिकता देगी. 2019 में CAA संसद की ओर से पास किया गया था, लेकिन कोरोना के कारण इसे लागू करने में देरी हुई. उन्होंने कहा कि विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति करना चाहता है और अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाहता है. वे बेनकाब हो गए हैं. शाह ने कहा कि मैं पिछले 4 साल में 41 बार कह चुका हूं कि इसे चुनाव से पहले लागू किया जाएगा.
अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि CAA कभी वापस नहीं लिया जाएगा. हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना हमारा संप्रभु निर्णय है, हम इस पर कभी समझौता नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को सार्वजनिक रूप से सीएए पर कांग्रेस का रुख स्पष्ट करना चाहिए. क्या उन्हें इनकार करने का अधिकार है...नागरिकता केंद्र का क्षेत्र है. अमित शाह ने सीएए का विरोध करने के लिए ममता, स्टालिन, विजयन की आलोचना भी की.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के उस बयान पर बात की, जिसमें उन्होंने कहा था कि शरणार्थियों को नागरिकता देने से चोरी और बलात्कार बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना धैर्य खो बैठे हैं. उन्हें नहीं पता कि ये सभी लोग पहले ही भारत में आ चुके हैं और रह रहे हैं. अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में या रोहिंग्याओं का विरोध क्यों नहीं करते? वह वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं. उन्हें शरणार्थी परिवारों से मिलना चाहिए.
अमित शाह ने CAA अधिसूचना पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की टिप्पणी का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि वो दिन दूर नहीं, जब बीजेपी वहां (पश्चिम बंगाल) सत्ता में आएगी और घुसपैठ रोकेगी. अगर आप इस तरह की राजनीति करते हैं और इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे के साथ, आप तुष्टीकरण की राजनीति करके घुसपैठ की अनुमति देते हैं और CAA का विरोध करते हैं. शरणार्थियों को नागरिकता नहीं मिलेगी तो लोग आपके साथ नहीं रहेंगे. उन्होने कहा कि ममता बनर्जी को शरण लेने वाले और घुसपैठिए में अंतर नहीं पता.
अमित शाह ने कहा कि वे डर पैदा कर रही हैं. ममता बनर्जी को हमें ऐसा करने से नहीं रोकना चाहिए, उन्हें अपने राज्य में घुसपैठ रोकनी चाहिए. अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, राजनीति करने के लिए हजारों मंच हैं, लेकिन कृपया बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदुओं को नुकसान न पहुंचाएं. आप भी एक बंगाली हैं. मैं उन्हें खुली चुनौती देता हूं कि वे मुझे इस कानून की एक धारा दिखाएं जिससे किसी की नागरिकता खत्म होगी. वे डर पैदा कर रही है. ममता बनर्जी को हमें ऐसा करने से नहीं रोकना चाहिए, उन्हें अपने राज्य में घुसपैठ रोकनी चाहिए. असम में घुसपैठ पूरी तरह से बंद हो गई है क्योंकि बीजेपी वहां सत्ता में है.
CAA पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अल्पसंख्यकों या किसी अन्य व्यक्ति को डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि CAA में किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. CAA केवल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदुओं, बौद्धों, जैन, सिख, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की ओर से CAA को 'मुस्लिम विरोधी' कानून बताए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आप इस कानून को अलग करके नहीं देख सकते. 1947 में धर्म के आधार पर बंटवारा हुआ था...उस वक्त कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि पलायन करने वाले लोग कभी भी वापस आ सकते थे. लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के कारण कांग्रेस ने कभी अपना वादा पूरा नहीं किया.
उन्होंने कहा कि जो लोग अखंड भारत का हिस्सा थे और जिन पर मुकदमा चलाया गया या अत्याचार किया गया, उन्हें भारत में शरण दी जानी चाहिए और यह हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है. जब विभाजन हुआ तो पाकिस्तान में 23% हिंदू और सिख थे, लेकिन अब उनमें से केवल 3.7% ही बचे हैं. वे सब कहां चले गए? वे सब यहां नहीं लौटे. उनका धर्म परिवर्तन किया गया, उनका अपमान किया गया. वे कहां जाएंगे? क्या संसद उनके बारे में नहीं सोचेगी? अगर मैं बांग्लादेश की बात करूं तो 1951 में वहां हिंदू आबादी 22% थी, लेकिन अब आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में हिंदू आबादी घटकर 10% रह गई है, वे कहां हैं?
अमित शाह ने कहा कि मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार है...किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं. उन्होंने कहा कि ये स्पेशल एक्ट इसलिए बनाया गया है क्योंकि लोग बिना किसी दस्तावेज के आए हैं. हम उन लोगों के लिए रास्ता खोजेंगे जो ऐसा करते हैं. उन सभी लोगों का यहां स्वागत है जो 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 2014 के बीच भारत में आए हैं.
CAA के बाद नागरिकता पाने वाले लोगों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बहुत सारे लोग हैं, अभी तक कोई गिनती नहीं है. जो दुष्प्रचार चल रहा है, उसके कारण कई लोग आवेदन दायर करने में संकोच करेंगे. मैं यहां आवेदन करने वाले सभी लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं और नरेंद्र मोदी सरकार पर भरोसा रखता हूं कि आपको पूर्वव्यापी प्रभाव से नागरिकता दी जाएगी. ये कानून आपको शरणार्थी के रूप में स्वीकार कर रहा है. यदि आपने अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया है, तो आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं होगा. आपको...किसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है.
असम में सीएए और एनआरसी के बीच संबंध पर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनआरसी का सीएए से कोई लेना-देना नहीं है. सीएए असम और देश के अन्य हिस्सों में लागू किया जाएगा. उत्तर के राज्यों में पूर्व में जहां दो प्रकार के विशेष अधिकार दिए गए हैं, केवल वे क्षेत्र सीएए लागू नहीं करेंगे. इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) का प्रावधान है और वे क्षेत्र जिन्हें 6वीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया गया है.
ये पूछे जाने पर कि क्या सीएए आदिवासी क्षेत्रों की संरचना को बदल देगा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जरा भी नहीं. सीएए आदिवासी क्षेत्रों की संरचना और अधिकारों को नहीं बदलेगा या कमजोर नहीं करेगा. हमने अधिनियम में ही प्रावधान किया है कि जहां भी इनर लाइन परमिट है और जो क्षेत्र संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल हैं, वहां सीएए लागू नहीं होगा. उन क्षेत्रों के पते वाले आवेदन ऐप पर अपलोड नहीं किए जाएंगे. हमने इसे ऐप से बाहर कर दिया है.
केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सरकार के ये कहने पर कि वे अपने राज्यों में सीएए लागू नहीं करेंगे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता के संबंध में नियम बनाने की सभी शक्तियां देता है. ये केंद्र का विषय है, राज्य का नहीं... मुझे लगता है कि चुनाव के बाद हर कोई सहयोग करेगा. वे तुष्टीकरण की राजनीति के लिए गलत सूचना फैला रहे हैं.
विपक्षी नेताओं के ये कहने पर कि अगर भारत गठबंधन 2024 में सत्ता में आया तो वे सीएए को रद्द कर देंगे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वे यह भी जानते हैं कि भारत गठबंधन सत्ता में नहीं आएगा. सीएए पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की ओर से लाया गया है. सीएए को रद्द करना असंभव है...यह पूरी तरह से संवैधानिक रूप से वैध कानून है...सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक नहीं लगाई है...मैं उद्धव ठाकरे से पूछना चाहता हूं कि वे स्पष्ट करें कि सीएए लागू किया जाना चाहिए या नहीं. वे अल्पसंख्यक वोट चाहते हैं और तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं.
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर से CAA को मुस्लिम विरोधी बताए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उनका तर्क क्या है? मुसलमानों का धार्मिक उत्पीड़न नहीं हो सकता क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश इस्लामिक राज्य घोषित हैं. वहां एनआरसी का कोई प्रावधान नहीं है. इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है.
क्या CAA के जरिए नागरिकता पाने वालों की अलग पहचान होगी, इस पर अमित शाह ने कहा कि उन्हें भारत के हर आम नागरिक की तरह नागरिकता सूची में जोड़ा जाएगा. उनके पास उतने ही अधिकार होंगे जितने आपके या मेरे पास हैं. चुनाव लड़ सकते हैं और सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री और मंत्री बन सकते हैं.
सीएए पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को जनता को बताना चाहिए कि सीएए देश के खिलाफ क्यों है, जैसे हम बता रहे हैं कि यह देश के पक्ष में क्यों है. विदेशी मीडिया की ओर से तीन तलाक, सीएए और धारा 370 पर सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विदेशी मीडिया से पूछें कि क्या उनके देश में तीन तलाक, मुस्लिम पर्सनल लॉ, धारा 370 जैसे प्रावधान हैं.